Raja Parba 2022: Odisha के इस त्योहार में मनाया जाता है धरती मां के पीरियड्स का जश्न

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jun 15, 2022, 03:52 PM IST

Menstruation Festival: फेमिनिज्म का जश्न मनाने वाले तीन दिन के इस त्योहार में पूरा ओड़िशा झूम उठता है.इसमें माना जाता है कि धरती मां रजस्वला होती हैं


डीएनए हिंदी : फेमिनिज्म का जश्न मनाने वाले तीन दिन के इस त्योहार में पूरा ओड़िशा(Odisha)  झूम उठता है.दरअसल यह माना जाता है कि धरती माता को मासिक धर्म आता है. एक ओर जहां भारत के हर कोने में महिलाओं में पीरियड्स को लेकर एक टैबू सा है, वहीं ओड़िशा में पीरियड्स को एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है.इस पर्व को राजा पर्व(Raja Parb 2022) कहते हैं, फेमिनिज्म का जश्न मनाने वाले तीन दिन के इस त्योहार में पूरा ओड़िशा झूम उठता है.इसमें माना जाता है कि रजस्वला धरती मां मानसून से पहले खेती के लिए धरती खुद को तैयार करती हैं. इस दौरान महिलाओं को कोई काम नहीं करना पड़ता और वे खूबसूरती से तैयार होकर अच्छे पकवान का लुत्फ उठाती हैं.धरती मां की पूजा भी की जाती है ओर उसका शुद्धिकरण होता है.


कैसे मनाया जाता है पर्व 
ओड़िशा(Odisha) में तीन दिनों तक लड़कियां, बच्चे, बूढ़े हर कोई खूब मजे करते हैं.इस साल मस्ती दोगुनी हो गई है क्योंकि कोविड के दो साल बाद ये त्योहार मनाया जा रहा है. लड़कियां मेहंदी लगाती हैं, अच्छे पकवान खाती हैं.आम तौर पर रसोई पुरुषों के हवाले कर दी जाती है.महिलाएं अपनी आजादी का मजा लेती हैं, इसलिए इस उत्सव को राजा पर्व कहते हैं क्योंकि तीन दिन महिलाएं राजाओं की तरह रहती हैं.

इस त्योहार के दौरान मीठा पान खाने की परंपरा भी है इस दौरान कई तरह के पीठे भी बनाए जाते हैं. पीठ जैसे 'पोड़ा पीठ', 'मंडा', 'ककारा', 'अरिशा', 'चाकुली' और 'चंद्रकला' बनाए जाते हैं.. 

Raja Parb का महत्व 
ऐसा माना जाता है कि देवी पृथ्वी या भगवान विष्णु की दिव्य पत्नी पहले तीन दिनों के दौरान मासिक धर्म से गुजरती हैं..चौथे दिन को वसुमती गढ़ुआ या भूदेवी का औपचारिक स्नान कहा जाता है. राजा शब्द रजस्वला (अर्थात् मासिक धर्म वाली महिला) से आया है और मध्ययुगीन काल के दौरान यह त्योहार कृषि अवकाश के रूप में अधिक लोकप्रिय हो गया, जिसमें भूदेवी की पूजा की गई, जो भगवान जगन्नाथ की पत्नी हैं.

त्योहार की कुछ खास बातें 
पहला दिन पहिली रजो के नाम से जानी जाता है,जिसे धरती का मासिक धर्म (Raja Parb 2022) कहते हैं. धरती पर नंगे पैर चलने से हर कोई परहेज करते हैं. दूसरा दिन भूदेवी के रजस्वला का होता है, जिसे मिथुन संक्रांति कहते हैं. तीसरे दिन शेष रजो मनाया जाता है,शेष रजो/भूदहा/ बासीरजो होता है.इस दिन त्योहार खत्म हो जाता है.

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Mithun Sankranti 2022