हिंदू अस्मिता के खिलाफ साज़िश है राजस्थान के दुर्गों पर मजारें , युवाचार्य अभयदास ने जानिए क्यों जताई चिंता

ऋतु सिंह | Updated:Oct 04, 2024, 08:31 AM IST

युवाचार्य अभयदास

राजस्थान के युवाचार्य स्वामी अभयदास जी राजस्थान के ऐतिहासिक दुर्गों में बनी मज़ारों को हिंदू अस्मिता के खिलाफ एक गहरी साज़िश का हिस्सा बताया है, जानिए क्यों?

सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो युवाचार्य स्वामी अभयदास का कहते नजर आ रहे हैं कि दुर्गों में बनी मजारों के के पीछे झूठी कहानियां गढ़ी गई हैं, ताकि इन स्थलों पर कब्जा किया जा सके और हिंदू संस्कृति को कमजोर किया जा सके.

उनका कहना है भारत के जितने भी दुर्ग हैं, उनमें लगभग सभी में मजारें बनाई गई हैं और इनके पीछे की झूठी और मनगढ़ंत कहानियां बताई जाती हैं. यह सब कुछ एक बड़ा छलावा है, जिसका मकसद हिंदुओं के इतिहास और पहचान को मिटाना है. 

 पिछले 1000 सालों में मुसलमानों ने हिंदू अस्मिता को लूटने का काम किया है. वे कभी भी किसी हिंदू राजा के साथ खड़े नहीं हो सकते. हाँ, सौ में अगर एक-आध व्यक्ति जैसे रसखान और रहीम थे, जिन्हें हमने गले लगाया, लेकिन बाकी सब झूठी कहानियों पर आधारित हैं. 

 समर्थन और आलोचना के बीच घिरे अभयदास जी 

अभयदास जी के इस बयान ने सोशल मीडिया पर आग लगा दी है. कई लोग उनके दावे का समर्थन कर रहे हैं, जबकि कई इसे सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाने वाला बयान मान रहे हैं. उनके समर्थकों का मानना है कि अभयदास जी ने ऐतिहासिक सच्चाई को उजागर किया है, जिसे लंबे समय से छिपाया जा रहा था. वहीं, आलोचकों का कहना है कि इस तरह के बयान समाज में फूट डालने का काम करेंगे और सांप्रदायिक सद्भावना को खतरे में डालेंगे.

राजस्थान जैसे सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील राज्य में अभयदास जी के इस बयान ने विवाद को और भी बढ़ा दिया है. पहले से ही यहाँ कई घटनाओं ने सांप्रदायिक तनाव को हवा दी है, और अब यह नया बयान स्थिति को और गंभीर बना सकता है.

कौन हैं अभयदास जी ?

अभयदास जी न केवल धार्मिक उपदेशक हैं, बल्कि उन्होंने कई सामाजिक कार्य भी किए हैं. वे राजस्थान के तखतगढ़ में स्थित सद्गुरु त्रिकमदास जी धाम परंपरा के पांचवें आचार्य हैं और उन्होंने देश के दूर-दराज के आदिवासी क्षेत्रों में निःशुल्क गुरुकुलों की स्थापना की है. इसके अलावा, वे तखतगढ़ में 405 फीट ऊँची भारत माता की प्रतिमा का निर्माण करवा रहे हैं, जो विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा होगी.

हालांकि, उनके इस विवादित बयान ने उनके धार्मिक और सामाजिक कार्यों के बीच एक नया विवाद पैदा कर दिया है. अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अभयदास जी अपने इस बयान पर आगे क्या रुख अपनाते हैं और समाज में शांति बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं.

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