डीएनए हिंदी: इस्लाम धर्म (Islam Dharma) को मानने वाले मुस्लिम लोग बहुत से त्योहार मनाते हैं. मुस्लिम धर्म (Muslim Dharma) में भी बहुत से त्योहार मनाए जाते हैं. इनमें से साल में दो बार ईद का पर्व मनाया जाता है जो बहुत ही विशेष होते हैं. दोनों में से एक ईद-उल-फितर (Eid al-Fitr 2023) के रूप में मनाई जाती है. ईद-उल-फितर (Eid al-Fitr) को मीठी ईद के नाम से भी जाना जाता है. यह ईद रमजान (Ramadan 2023) के पवित्र महीने के बाद आती है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार आठवें महीने शाबान के समाप्त होने पर अगले दिन से रमजान (Ramadan 2023) शुरू हो जाते हैं. इन दिनों मुस्लिम लोग अल्लाह की इबादत के लिए रोजे रखते हैं. यह रमजान (Ramadan 2023) का यह महीना बहुत ही पवित्र माना जाता है. तो चलिए इस बार रमजान (Ramadan 2023) के शुरू होने की तारीख और खासियत के बारे में जानते हैं.
रमजान 2023 (Ramadan 2023)
शाबान माह के खत्म होने पर जब चांद नजर आता है तो अगले दिन से रमजान के पवित्र महीने की शुरूआत हो जाती है. शाबान का महीना 29 दिनों का हुआ तो चांद दिखने के बाद 23 मार्च को पहला रोजा रखा जाएगा. हालांकि 22 मार्च की रात को चांद नहीं दिखा तो रमजान की शुरूआत 24 मार्च को होगी. इस बात का फैसला 22 मार्च को ही होगी कि इस साल रमजान महीने की शुरूआत किस तारीख को होगी.
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रमजान के पवित्र महीने में रखें जाते हैं रोजे
खुदा ही रहमत पाने के लिए रमजान के पवित्र महीने में मुस्लिम लोग रोजे रखते हैं. रमजान के पहले 10 दिन रहमत के होते हैं. मुस्लिम लोग रमजान के दौरान पूरे दिन रोजा यानी उपवास रखते हैं. वह सूरज निकलने से पहले खाना खाते हैं जिसे सेहरी कहते है और शाम को सूरज अस्त होने के बाद खाना खाते हैं जिसे इफ्तारी कहते हैं. पूरे दिन रोजा रखने के बाद शाम को नमाज अदा करने के बाद खाना खा सकते हैं.
रोजेदारों के लिए होते हैं कड़े नियम
रोजेदार का मतलब रोजा रखने वाले से हैं. यानी रोजा रखने वाले लोगों के लिए बहुत ही कड़े नियम होते हैं. रमजान के महीने में रोजेदार सेहरी से लेकर इफ्तारी के बीच कुछ भी खा पी नहीं सकते हैं. ऐसे में रोजा टूट जाता है. रोजे में सिर्फ शारीरिक रूप से ही भूखा-प्यासा नहीं रहना होता है बल्कि बुरी आदतों को भी छोड़ना पड़ता है. रोजे में बुरे विचार भी दिमाग में नहीं लाने चाहिए. ऐसा करने पर पाबंदी होती है.
आंख, कान और जीभ का रोजा
रोजे के बहुत से नियम होते हैं. रोजे में बुरा न देखने न सुनने औ र न बोलने पर भी पांबदी होती है. इसे आंख, कान और जीभ का रोजा कहते हैं. रोजे के समय अगर दांत में फंसा खाना भी निगल जाए तो रोजा टूट जाता है. रोजे के दौरान इन सभी बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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