डीएनए हिंदीः रावण (Ravan) बहुत ही शक्तिशाली और बुद्धिमान था. इतना ही नहीं रावण को ज्योतिष शास्त्र का अच्छा खासा ज्ञान था. कहा जाता है कि तीनों लोकों में रावण से विद्वान दूसरा कोई नहीं था. रावण एक महान शिव भक्त, वेदों का ज्ञाता, ज्योतिष का प्रकांड विद्वान, तंत्र और मंत्र में भगवान शिव के समान और एक अजेय योद्धा था (Ramayana Story) और उसे ये मालूम था कि पूरे ब्रह्मांड में भगवान शिव (God Shiva) के अलावा उसे कोई अन्य मार नहीं सकता.
लेकिन रावण ने अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल कर लंका में सभी पराजित देवताओं को बंदी बनाकर रखता था. उसने न केवल देवताओं को पीड़ा दी, बल्कि ‘नवग्रहों’ को अपनी मुट्ठी में धारण कर उन्हें लंका में बंदी बना कर रखता था.
कौन था रावण के पैरों के नीचे दबा नीले रंग का शख्स (Ravana And Shani Dev Story)
आपने रामायण देखते समय एक चीज नोटिस की होगी कि रावण अपने दरबार में एक नीले व्यक्ति की पीठ पर पैर रखकर सिंघासन पर बैठता था. ऐसे में आपके मन में यह जानने की इच्छा होती होगी कि रावण के सिंहासन के पास जिस शख्स को दिखाया जाता है, वो कौन है और इसके पीछे क्या कहानी है..
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ये है इसके पीछे की कहानी (Why Ravana Capture All The 9 Planets with Shani Dev)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब मेघनाद (Meghanada) का जन्म होने वाला था. तब रावण ने सभी ग्रहों को बंदी बना लिया था ताकि अजन्मा बच्चा अजर-अमर हो जाए. लेकिन तब ‘शनि देव’ ने एक ऐसी चाल चली जिसकी वजह से वो ‘मेघनाद’ के जन्म से ठीक पहले एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश कर गए. ऐसे में ‘मेघनाद’ अजर और अमर नहीं हो सका.
इससे रावण बेहद क्रोधित हो उठा और उसने शनि देव के पैर पर गदा से प्रहार कर दिया और लंका को शनि की कुटिल निगाहों से बचाने के लिए रावण ने अपने सिंहासन के सामने पटककर उनका चेहरा जमीन की ओर कर दिया. ताकि न वो शनि का चेहरा देख पाएं और न ही शनि देव की नज़रें किसी और पर पड़े.
हनुमान जी ने किया था शनि देव को कैद से मुक्त (Lord Hanuman Saved Shani Dev)
रावण सिंहासन पर बैठते समय अपने पैर रखने के लिए शनि देव की पीठ का इस्तेमाल करता था. इतना ही नहीं, सिंहासन से उठते समय, बैठे हुए, रावण अपने पैर शनि देव और अन्य ग्रहों के शरीर पर रखकर उन पर जुल्म करता था. ऐसे में कई वर्षों बाद जब हनुमान जी माता सीता की खोज में लंका गए तो उन्होंने ही इन नौ ग्रहों को रावण की कैद से मुक्त कराया था.
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रावण की लंका से बाहर निकलते समय शनिदेव ने लंका पर अपनी कुटिल निगाह डाली और रावण की सोने की लंका जलकर राख हो गई. रावण की कैद से शनि देव को मुक्त कराने के लिए शनि भगवान ने हनुमान जी को उनके भक्तों के जीवन को परेशानियों से दूर रखने का आशीर्वाद दिया.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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