डीएनए हिंदीः भगवान शिव भी रावण की अनन्य भक्ति से कभी बेहद खुश थे लेकिन धीरे-धीरे बढ़ते हुए उसके अंहकार से वह भी नाराज थे. रावण अपने अहंकार में महादेव के सामने भी धृष्टता करने लगा था.
अपने अहंकार में एक बार रावण ने कुछ ऐसा कर दिया कि भगवान शंकर ने उसकी उंगली ही दबा दी थी और तब असहनीय दर्द में उसने शिव तांडव स्त्रोत रचा और भगवान शिव से जान बचाने की विनती की थी. क्या था ये पूरा किस्सा चलिए जानें.
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एक बार रावण कुबेर से छीने पुष्पक विमान विचरण कर रहा था तभी उसे एक पहाड़ पर शिवजी ध्यानमग्न नजर आए. रावण अपने विमान को उस ओर ले जाने लगा तो शिव गण नंदी ने रावण को रोका और कहा कि भगवान ध्यान में हैं और उनके विमान से उनका ध्यान भंग हो जाएगा, इसलिए वह अपने वाहन को उधर न ले जाएं. नंदी की बात सुनकर रावण क्रोधित हो गया और उसने वहीं पुष्पक उतार दिया और नंदी को भी अपमानित किया.
रावण ने अपने अहंकार में नंदी से कहा कि वह देखो किस तरह भोलेनाथ समेत पूरे पर्वत को उखाड़कर लंका लेजा रहा है. ऐसा कहते हुए रावण ने पूरा पर्वत उठा लिया और इससे शिव का ध्यान भंग हो गया.
तब शिवजी ने अपने अंगूठे से पर्वत को दबा दिया और इससे रावण का हाथ दब गया और पूरे पर्वत का भार रावण के हाथ पर आ गया और रावण इस पीड़ा से कराह उठा. उसे तुरंत अपनी गलती का अहसास हो गया.
वह भगवान से प्रार्थना करने लगा कि उसे दर्द से मुक्तकर उसकी जान बक्श दें लेकिन शिव टस से मस नहीं हुए तब रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए वह उनकी महिमा का गुणगान करते गया और इस तरह से शिव तांडव स्त्रोत को उनसे रच दिया. तब शिवजी ने उसे क्षमा कर उसकी जान बक्श दी थी.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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