डीएनए हिंदी: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बड़ा महत्व होता है. हर साल 24 प्रदोष व्रत आते हैं हर माह में कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में होता है, लेकिन इस साल प्रदोष व्रत का विशेष संयोग बन रहा है. यही वजह है कि दो सावन के साथ ही इस बार प्रदोष व्रत की संख्या भी 26 हो गई है. पूरे साल में 26 प्रदोष व्रत होंगे. इनमें से अधिकमास और सावन में दो प्रदोष व्रत बढ़ गए हैं. प्रदोष व्रत पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है. इसे भगवान शिव प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं. प्रदोष व्रत करने से भगवान प्रसन्न होकर सभी कष्टों का निवरण करते हैं.
ज्योतिषाचार्य प्रीतिका मोजुमदार बताती हैं कि प्रदोष व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा अवसर माना जाता है. इस दिन शिव और पार्वती की पूजा अर्चना के साथ व्रत रखने वाले जो भी सच्चे मन से मनोकामना मांगते हैं. वह पूरी होती है. इस बाद अधिकमास का प्रदोष व्रत रविवार 13 अगस्त यानी आज है. रविवार के दिन पड़ने की वजह से इस व्रत को रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है. 19 साल बाद बने सावन में अधिकमास के योग से प्रदोष व्रत का महत्व भी बढ़ गया है.
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पूजा अर्चना के लिए ये है शुभ मुहूर्त
मलमास या अधिकमास का यह आखिरी प्रदोष व्रत है. 13 अगस्त को व्रत का शुभ मुहूर्त सुबह 8 बजकर 57 मिनट से शुरू होगा. इसका समापन अगले दिन 14 अगस्त को सोमवार सुबह 10 बजकर 20 मिनट पर होगा. यह दिन शिव जी आराधना के लिए विशेष होता है. इस दिन सुबह स्नान करके भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करें. शिवलिंग पर जल और दूध अर्पित करें. साथ ही भगवान को भोग लगाएं. इस दिन पूजा करने के लिए सबसे शुभ मुहूर्त 13 अगस्त की सुबह 7 बजकर 9 मिनट से रात 9 बजे तक रहेगा.
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चंद्रमा को जल देने से खत्म होगा ग्रह दोष
अगर आप ग्रहों की वक्री दशा या उनके दोष से परेशान हैं तो रवि प्रदोष के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करें. इसके बाद रात के समय चंद्रमा को जल जरूर दें. इसे ग्रहों की व्रकी दशा या दोष शांत होता है. साथ ही भगवान शिव पर गेहूं अर्पित करके पूर्व दिशा की तरफ मुख कर आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से शरीर में एनर्जी आती है. शरीर के सभी विकार और परेशानियां दूर होती हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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