Sunday Surya Mantra: रविवार को इन मंत्रों का करें जाप, सूर्य की तरह चमकेगा भाग्य

Aman Maheshwari | Updated:Sep 02, 2023, 04:49 PM IST

प्रतीकात्मक तस्वीर

Sunday Surya Dev Mantra: रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित होता है इस दिन सूर्य देव से जुड़े उपाय करने से लाभ मिलता है. रविवार को सूर्य मंत्रों का जाप करने से भी लाभ मिलता है.

डीएनए हिंदीः हिंदू धर्म में रविवार का दिन सूर्य देव (Surya Dev) को समर्पित माना जाता है. इस दिन सूर्य देव की पूजा-अर्चना करने से जीवन से सभी कष्ट दूर होते हैं. सूर्य को जल चढ़ाने से भी सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है. रोज तांबे के पात्र में सिंदूर, अक्षथ और मिश्री डालकर अर्घ्य देने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है. सूर्य देव की कृपा पाने के लिए रविवार का दिन भी बहुत ही खास होता है. इस दिन कई खास मंत्रों (Sunday Surya Mantra) का जाप करने से भाग्य चमक उठता है. आइये आपको इन सूर्य मंत्रों (Surya Mantra) के बारे में बताते हैं.

सूर्य प्रार्थना मंत्र (Surya Prarthna Mantra)
सूर्य भगवान की प्रार्थना करते हुए इस मंत्र का जाप करें
ग्रहाणामादिरादित्यो लोक लक्षण कारक:
विषम स्थान संभूतां पीड़ां दहतु मे रवि

 

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कामना पूर्ति के लिए करें भगवान सूर्य के इन मंत्रों का जाप
ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
ॐ सूर्याय नम:
ॐ घृणि सूर्याय नम:
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लींॐ

सूर्याष्टकम् (Surya Ashtakam)
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते,

सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम्
श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्,

लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम्
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्,

त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरम्
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्,

बृंहितं तेजसां पुञ्जं वायुमाकाशमेव च
प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्,

बन्धूकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम्
एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्,

तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेजःप्रदीपनम्
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्,

तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम्
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्,

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सूर्य कवच (Surya Kavach)
श्रणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम्
शरीरारोग्दं दिव्यं सव सौभाग्य दायकम्

देदीप्यमान मुकुटं स्फुरन्मकर कुण्डलम
ध्यात्वा सहस्त्रं किरणं स्तोत्र मेततु दीरयेत्

शिरों में भास्कर: पातु ललाट मेडमित दुति:
नेत्रे दिनमणि: पातु श्रवणे वासरेश्वर:

ध्राणं धर्मं धृणि: पातु वदनं वेद वाहन:
जिव्हां में मानद: पातु कण्ठं में सुर वन्दित:

सूर्य रक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्ज पत्रके
दधाति य: करे तस्य वशगा: सर्व सिद्धय:

सुस्नातो यो जपेत् सम्यग्योधिते स्वस्थ: मानस:
सरोग मुक्तो दीर्घायु सुखं पुष्टिं च विदंति

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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