अक्षय नवमी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा की जाती है. इसे आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन लोग आंवले के पेड़ की पूजा करते हैं. इस दिन आंवला खाना भी बहुत शुभ माना जाता है. हम आपको बताते हैं कि आंवला नवमी किस दिन मनाई जाएगी. जानिए पूजा का शुभ समय और पूजा विधि.
इस वर्ष अक्षय नवमी 10 नवंबर, रविवार को मनाई जाएगी. पंचांग के अनुसार अक्षय नवमी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है. इस साल यह तिथि 10 नवंबर को है. इसलिए जो लोग अक्षय नवमी का व्रत रखते हैं वे 10 नवंबर को यह व्रत रखेंगे और भगवान विष्णु की पूजा करेंगे. धार्मिक मान्यताओं में आंवले के पेड़ को भगवान विष्णु की सुगंध वाला बताया गया है. इस दिन आंवले के पेड़ की छाया में बैठना और उसके नीचे खाना बनाना भी बहुत शुभ माना जाता है. इस भोजन को सबसे पहले भगवान विष्णु को अर्पित करें और फिर पूरे परिवार को खिलाने से आप पर श्रीहरि की कृपा बनी रहेगी. आइए जानते हैं आंवला नवमी की तिथि कब है और साथ ही जानिए पूजा का शुभ समय और विधि.
अक्षय नवमी कब है?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, अक्षय नवमी 9 नवंबर को रात 10.45 बजे शुरू होगी और अगले दिन 10 नवंबर को रात 9.01 बजे समाप्त होगी. इसलिए अक्षय नवमी उदया तिथि अनुमोदन के अनुसार 10 नवंबर की रात को मनाई जाएगी.
अक्षय नवम महात्म्य
अक्षय नवमी के बारे में मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन किए गए अच्छे कर्मों का अक्षय फल सभी को मिलता है और मां लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है. इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से सुख, संपत्ति और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. इस दिन किया गया जप, तप और दान सभी पापों से मुक्ति दिलाता है. अक्षय नवमी के दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान शिव भी आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं. इसलिए इस दिन आंवले का दान और सेवन करना चाहिए. इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे परिवार के साथ बैठकर भोजन करने से घर में सुख-समृद्धि आती है.
ऐसे करें आंवले के पेड़ की पूजा
- सूर्योदय से पहले उठना चाहिए, साफ कपड़े पहनना चाहिए और पूजा सामग्री के साथ आंवले के पेड़ के पास बैठना चाहिए.
- अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है.
- हल्दी, कुमकुम और पूजा सामग्री से पेड़ की पूजा करें.
- पेड़ को जड़ के पास साफ करके जल और कच्चा दूध अर्पित करें.
- तने के चारों ओर कच्चा सूत या मौली लपेटें और ऐसा करते हुए पेड़ की आठ बार परिक्रमा करें.
- कुछ स्थानों पर पेड़ की 108 बार परिक्रमा करने की भी परंपरा है.
- पूजा के बाद आंवला नवमी की कथा पढ़ी और सुनी जाती है. मान्यता है कि इसे स्वयं सुनना या सुनाना भी लाभकारी होता है.
- पूजा के बाद सुख-समृद्धि की कामना करते हुए किसी पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने का महत्व है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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