Puja Vidhi: बैठकर या खड़े होकर, जानें क्या है पूजा करने का सही नियम

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 19, 2023, 10:30 AM IST

बैठकर या खड़े होकर, जानें क्या है पूजा करने का सही नियम

Puja Niyam: पूजा हमेशा बैठकर करनी चाहिए इससे पूजा का शुभ फल प्राप्त होता है. आइए जानते हैं क्या है पूजा का सही नियम.

डीएनए हिंदी: सनातन धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है और इससे जुड़े कई नियम भी शास्त्रों में बताए गए है. ऐसे में आपकी पूजा पूर्ण तभी मानी जाती है, जब आप इन नियमों का पालन करते (Puja Niyam) हुए पूजा पाठ करते हैं. हालांकि इन नियमों की जानकारी न होने की वजह से जाने-अनजाने में लोग पूजा के दौरान कई तरह की गलतियां कर देते हैं, जिसके कारण उन्हें पूजा का फल नहीं मिल पाता और पूजा पूर्ण नहीं होती हैं. इसके अलावा पूजा में की गई गलती की वजह से व्यक्ति के जीवन में तमाम संकट (Puja vidhi Ritual) आने लगते हैं और लोग कई तरह की परेशानियों से घिर जाते हैं. इसके अलावा ऐसा कहा जाता है की पूजा पाठ हमेशा बैठ कर तसल्ली से करनी चाहिए, खड़े होकर नहीं. आज हम आपको इसी बारे में बताएंगे. आइए जानते हैं कि (Vastu Tips) पूजा खड़े होकर करनी चाहिए या बैठकर.

क्या है पूजा का नियम 

मान्यता है कि घर के मंदिर में कभी भी खड़े होकर पूजा नहीं करनी चाहिए. खड़े होकर पूजा करना शुभ नहीं माना जाता है और इससे पूजा का कोई लाभ भी नहीं मिलता. इसलिए कभी भी घर पर खड़े होकर पूजा न करें. पूजा करने के लिए जब भी आप बैठें तो पहले फर्श पर आसन जरूर बिछाएं और इस पर बैठकर ही पूजा करें. साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि कभी भी बिना सिर ढके पूजा न करें. स्त्री हो या पुरुष पूजा करते समय हमेशा अपना सिर जरूर ढकें.

क्या है पूजा करने की सही विधि 

वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा करते समय हमेशा अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखनी चाहिए और अपने दाहिने ओर घंटी, धूप, दीप, अगरबत्ती आदि रखनी चाहिए. वास्तु  शास्त्र में इस दिशा में मुख करके पूजा-अर्चना करना श्रेष्ठ माना जाता है. बता दें कि पूर्व दिशा शक्ति व शौर्य की प्रतीक है और इस दिशा में पूजा स्थल होने से घर में रहने वालों को शांति, सुकून, धन, प्रसन्नता और स्वास्थ लाभ मिलता है.

पूजा करते समय अपनी बाईं ओर पूजन सामग्री जैसे फल फूल, जल का पात्र और शंख रखना चाहिए. इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है. इसके अलावा इस बात का भी ध्यान रखें कि पूजा करते समय अपने माथे पर तिलक जरूर लगाएं.

घर में पूजा स्थल उत्तर-पूर्व दिशा में बनाना चाहिए क्योंकि वास्तु में इस दिशा को शुभ माना जाता है. इसके अलावा घर के अंदर रखने वाले मंदिर की ऊंचाई उसकी चौड़ाई से दुगुनी होनी चाहिए.

इसके अलावा घर के भीतर पूजा घर बनवाते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि इसके नीचे या ऊपर या फिर अगलबगल शौचालय नहीं होना चाहिए. साथ ही भूलकर भी घर की सीढ़ी के नीचे पूजा घर न बनाएं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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