डीएनए हिंदी: भारत के कई राज्यों में सांझा-सांझी (Sanjha Sanjhi 2022) का पर्व मनाया जाता है. इस शुभ अवसर पर संध्या माता या सांझ माता की पूजा की जाती है. सांझा-सांझी का लोकपर्व राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब और गुजरात जैसे प्रदेशों में बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है. यह पर्व पितृपक्ष के दिनों में शुरू होता है और नवरात्रि में जाकर खत्म होता है. पितृपक्ष के 16 दिनों में सांझा और नवरात्रि के दिनों में सांझी पर्व मनाया जाता है.
यह है सांझा-सांझी पर्व का महत्व (Sanjha Sanjhi 2022 Puja Importance)
मालवा निमाड़ का यह लोकपर्व खासतौर पर गांवों में बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है. मान्यता है कि सांझा-सांझी (Sanjha Sanjhi) पर्व की शुरुआत वैष्णो मंदिर के द्वारा 15वीं या 16वीं शताब्दी में की गई थी. इस शुभ अवसर पर माता गौरी की रूप में सांझ माता की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस पर्व पर कुंवारी लड़कियां योग्य वर पाने के लिए माता गौरी के रूप में संध्या माता की पूजा करती हैं. इस पर्व पर सांझ माता या संध्या माता की पूजा करने से कुंवारी लड़कियों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
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सांझा-सांझी पर्व की तिथि (Sanjha Sanjhi 2022 Festival Date)
सांझा पर्व पितृपक्ष के 16 दिनों में मनाया जाता है. यह पर्व मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस दौरान लोग संध्या माता की पूजा करते हैं. इस वर्ष सांझा पर्व 10 सितंबर से शुरू हो कर 25 सितंबर 2022 को खत्म होगा.
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सांझी पर्व शारदीय नवरात्रि के दिनों में मनाया जाता है. इस दौरान कुंवारी कन्याएं सांझी माता की पूजा करती है. यह पर्व आश्विन मास के शुल्क पक्ष की प्रतिपदा से शुरू हो कर नवमी तक मनाया जाता है. इस वर्ष यह पर्व 26 सितंबर 2022 से शुरू हो कर 4 अक्टूबर 2022 को समाप्त होगा.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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