Sankashti Chaturthi 2022 : बच्चों की शादी का मसला हो या मन में कोई पुरानी चाह, इस चतुर्थी पूजा से सब काम होंगे

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Sep 13, 2022, 11:46 AM IST

Sankashti chaturthi vrat- संकष्टी गणेश चतुर्थी का व्रत बहुत ही खास है, इससे आपके सारे विघ्न कट जाते हैं, इसकी विधि जानें और मंत्र का जाप करें,

डीएनए हिंदी : Sankashti Chaturthi 2022- आज यानी मंगलवार को 13 सितंबर के दिन संकष्टी चतुर्थी का व्रत (Sankashti Chaturthi Vrat) रखा जाता है. दरअसल आज के दिन संकटमोचन विघ्नहर्ता भगवान गणेश (Ganesh Puja) की खास पूजा अर्चना की जाती है. मान्यता है कि इस दिन श्रीगणेश की पूजा करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं और घर में सुख शांति आती है. इस दिन गणेश जी को लड्डू,मोदक,फल और फूल चढ़ाया जाता है. 

आपको बता दें कि हर महीने दो चतुर्थी पड़ती है. एक पूर्णिमा के बाद,दूसरी अमावस्या के बाद. दोनों चतुर्थी अलग अलग होती है. पूर्णिमा के बाद यानी कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी या फिर गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. अमावस्या के बाद यानी शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है. दोनों ही गणेश के नाम से ही पूजी जाती है और गणेश को ही याद किया जाता है. 

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संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व (Sankashti Chaturthi Importance)

मान्यता के मुताबिक संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं. जिन लोगों के घर में मांगलिक कार्य नहीं होते हैं या जिनकी संतान का विवाह नहीं हो पा रहा है, उन्हें संकष्टी चतुर्थी का व्रत कर भगवान गणेश को प्रसन्न करना चाहिए. भगवान गणेश को किसी भी कार्य से पहले पूजा जाता है. वे शुभ और मांगलिक कार्यों के कर्ता हैं. जिन लोगों का व्यापार ठीक से नहीं चल रहा हो,वो लोग भी इस दिन व्रत रखकर गणेश जी को 4 बेसन के लड्डुओं का भोग लगाएं. ऐसा करने से व्यापार में तरक्की होने लगेगी

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, साफ कपड़े पहन कर भगवान गणेश का ध्यान करें.पूजा घर साफ करें,गंगाजल छिड़कें और पूजा शुरू करें. चौकी पर पीले रंग का साफ कपड़ा बिछाएं. उस पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें. धूप,दीप और अगरबत्ती जलाएं.उन्हें फूल चढ़ाएं और उनका मन पसंद भोग मोदक लगाएं. लाल रंग के फूल,जनेऊ,दूब,पान में सुपारी,लौंग और इलायची अर्पित करें. नारियल भी चढ़ा सकते हैं और फिर आरती करें. शाम के समय चांद के निकलने से पहले संकष्टी व्रत कथा का पाठ कर गणपति की पूजा करें. पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बाटें. रात को चांद देखने के बाद व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है

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संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Sankashti Chaturthi Shubh Muhurat)

संकष्टि चतुर्थी आरंभ- 13 सितंबर 2022, सुबह 10 बजकर 37 मिनट
संकष्टि चतुर्थी समाप्त- 14 सितंबर 2022, सुबह 10 बजकर 25 मिनट
चंद्रोदय समय- रात 08 बजकर 35 मिनट (13 सिंतबर 2022) हिंदू पंचांग संकष्टि चतुर्थी चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है चंद्रदोय समय के अनुसार संकष्टि चतुर्थी व्रत आज 13 सितंबर को रखा जाएगा

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