बसंत पंचमी पर आज मां शारदे यानी देवी सरस्वती की पूजा कैसे करनी चाहिए, इस खबर में आपको संपू्र्ण पूजा विधि के बारे में बात रहे हैं. बसंत पंचमी पर इस विधि से पूजा करने से आपकी सारी ही मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएंगी.
माघ मास की पंचमी के दिन ज्ञान की देवी की सरस्वती की पूजा की जाती है. बसंत के दिन देवी की पूजा करना विशेष फलदायी माना गया है. तो चलिए ज्याेतिषाचार्य प्रीतिका मोजुमदार से जाने कि देवी सरस्वती को की विधिवत पूजा कैसे करें.
सरस्वती पूजन विधि आरंभ
सरस्वती माता के पूजन स्थल को गंगाजल पवित्र करें. सरस्वती माता की प्रतिमा अथवा तस्वीर को सामने रखकर उनके सामने धूप-दीप, अगरबत्ती, गुगुल जलाएं जिससे वातावरण में सकारात्मक उर्जा का संचार बढ़े. इसके बाद पूजा आरंभ करें.
आसन को मंत्र से शुद्ध करने का मंत्र
“ऊं अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा. य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:॥” इन मंत्रों से अपने ऊपर तथा आसन पर 3-3 बार कुश या पीले फूल से छींटें लगाएं फिर आचमन मंत्र बोलते हुए आचमन करें – ऊं केशवाय नम:, ऊं माधवाय नम:, ऊं नारायणाय नम:, फिर हाथ धोएं, पुन: आसन शुद्धि मंत्र बोलें- ऊं पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं विष्णुनाधृता. त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥
माथे पर चंदन लगाएं. अनामिका उंगली से श्रीखंड चंदन लगाते हुए मंत्र बोलें ‘चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्, आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठतु सर्वदा.’
बसंत पंचमी सरस्वती पूजन के लिए संकल्प मंत्र
हाथ में तिल, फूल, अक्षत मिठाई और फल लेकर ‘यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः माघ मासे बसंत पंचमी तिथौ भगवत्या: सरस्वत्या: पूजनमहं करिष्ये.’ इस मंत्र को बोलते हुए हाथ में रखी हुई सामग्री मां सरस्वती के सामने रखें. अब गणपति की पूजा करें.
बसंत पंचमी गणपति पूजन विधि
फूल लेकर गणपतिजी का ध्यान करें. मंत्र बोलें – गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्. उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्. हाथ में अक्षत लेकर गणपति जी का आह्वान करें ‘ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ.. इतना कहकर पात्र में अक्षत रखें.
जल लेकर बोलें-
एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम् ऊं गं गणपतये नम:. रक्त चंदन लगाएं: इदम रक्त चंदनम् लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:, इसी प्रकार श्रीखंड चंदन बोलकर श्रीखंड चंदन लगाएं. इसके पश्चात सिन्दूर चढ़ाएं “इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:. दूर्वा और विल्बपत्र गणेश जी को चढ़ाएं. गणेश जी को पीले वस्त्र चढ़ाएं. इदं पीत वस्त्रं ऊं गं गणपतये समर्पयामि.
गणपतिजी को प्रसाद अर्पित करने का मंत्र :
इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं गं गणपतये समर्पयामि:. मिष्टान अर्पित करने के लिए मंत्र: इदं शर्करा घृत युक्त नैवेद्यं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:.
प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन कराएं. इदं आचमनयं ऊं गं गणपतये नम:. इसके बाद पान सुपारी चढ़ाएं- इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:. अब एक फूल लेकर गणपति पर चढ़ाएं और बोलें: एष: पुष्पान्जलि ऊं गं गणपतये नम:
गणपति पूजन की तरह सूर्य सहित नवग्रहों की पूजा करें. यहां अब गणेशजी के स्थान पर नवग्रहों के नाम लें.
सरस्वती पूजा कलश पूजन विधि :
घड़े या लोटे पर मोली बांधकर कलश के ऊपर आम का पल्लव रखें. कलश के अंदर सुपारी, दूर्वा, अक्षत, मुद्रा रखें. कलश के गले में मोली लपेटें. नारियल पर वस्त्र लपेट कर कलश पर रखें. हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर वरुण देवता का कलश में आह्वान करें:- ओ३म् त्तत्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:. अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशंस मान आयु: प्रमोषी:. (अस्मिन कलशे वरुणं सांगं सपरिवारं सायुध सशक्तिकमावाहयामि, ओ३म्भूर्भुव: स्व:भो वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ. स्थापयामि पूजयामि॥)
इसके बाद जिस प्रकार गणेश जी की पूजा की है उसी तरह से वरुण और इन्द्रादि देवताओं की भी पूजा करें.
सरस्वती पूजन ध्यान मंत्र –
या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता.
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना..
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता.
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा..
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं.
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्..
हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्.
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्..
देवी सरस्वती की प्रतिष्ठा मंत्र
हाथ में अक्षत लेकर बोलें “ॐ भूर्भुवः स्वः सरस्वती देव्यै इहागच्छ इह तिष्ठ. इस मंत्र को बोलकर अक्षत छोड़ें. इसके बाद जल लेकर ‘एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्.” प्रतिष्ठा के बाद स्नान कराएं: ॐ मन्दाकिन्या समानीतैः, हेमाम्भोरुह-वासितैः स्नानं कुरुष्व देवेशि, सलिलं च सुगन्धिभिः.. ॐ श्री सरस्वतयै नमः..
इदं रक्त चंदनम् लेपनम् से रक्त चंदन लगाएं. इदं सिन्दूराभरणं से सिन्दूर लगाएं. ‘ॐ मन्दार-पारिजाताद्यैः, अनेकैः कुसुमैः शुभैः. पूजयामि शिवे, भक्तया, सरस्वतयै नमो नमः.. ॐ सरस्वतयै नमः, पुष्पाणि समर्पयामि.’ इस मंत्र से पुष्प चढ़ाएं फिर माला पहनाएं.
देवी सरस्वती को इदं पीत वस्त्रं समर्पयामि कहकर पीला वस्त्र पहनाएं. प्रसाद अर्पित करें “इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं सरस्वतयै समर्पयामि” मंत्र से नैवैद्य अर्पित करें.
मिष्टान अर्पित करने के लिए मंत्र: “इदं शर्करा घृत समायुक्तं नैवेद्यं ऊं सरस्वतयै समर्पयामि” बालें. प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन कराएं. इदं आचमनयं ऊं सरस्वतयै नम:.
देवी सरस्वती को पान सुपारी भेंट करें : इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं सरस्वतयै समर्पयामि. अब एक फूल लेकर सरस्वती देवी पर चढ़ाएं और बोलें: एष: पुष्पान्जलि ऊं सरस्वतयै नम:. इसके बाद एक फूल लेकर उसमें चंदन और अक्षत लगाकर किताब कॉपी पर रखें.
आरती की थाल सजाकर देवी सरस्वती की आरती करें. और प्रसाद वितरण करें.