डीएनए हिंदी: पिछले 16 दिनों से चल रहे पितृपक्ष 14 अक्टूबर को खत्म हो जाएंगे. इस दिन पितृ विसर्जन किया जाएगा. इसकी वजह 14 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या का होना है. इस दिन कई ऐसे शुभ योग बन रहे हैं, जिनमें पितरों को प्रसन्न करके विदा किया जा सकता है. इनमें सबसे पहला योग शनि अमावस्या है. साथ ही शनिवार केा हस्त नक्षत्र होने से यमघंटक योग भी बन रहा है. अगर किसी ने पिछले 15 दिनों में श्राद्ध नहीं किया है. उन्हें अपने पूर्वजों की निधन की तारीख और तिथि नहीं पता हैं तो वह 14 अक्टूबर यानी सर्वपितृ अमावस्या पर भी श्राद्ध कर सकते हैं.
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सर्वपितृ अमावस्या पर करें ये काम
सर्वपितृ अमावस्या पर 15 दिनों के श्राद्ध और तर्पण के बाद पितरों को विदा किया जाता है. इस दिन सुबह उठकर स्नानादि करके भगवान को भजन करें. साथ ही पूर्वजों का स्मरण कर उन्हें प्रणाम करें. पितरों को याद करने हुए सभी 16 तिथियों के अनुसार, पूरियां और रोटियां पितरों के निमित्त निकालें. अपने पितरों का नाम लेकर तर्पण करें. इसके बाद किसी ब्राह्मण और विद्वान को आमंत्रित कर भोजन कराएं. पूर्वजों का तर्पण कराएं और श्राद्ध करें.
पितरों का प्रसन्न करने के ये शुभ मुहूर्त
पंडितों के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति पूरे श्राद्ध पक्ष में पितरों का तर्पण नहीं कर पाया है. तो वह अमावस्या तिथि को भी श्राद्ध कर सकता है. इस दिन श्राद्ध करने से पितरा प्रसन्न होते हैं. यह पितरों को प्रसन्न करने के लिए बहुत ही शुभ मुहूर्त है. इसमें श्राद्ध करने से पूर्वजों की आत्माओं को शांति और प्रसन्नता प्राप्त होती है.
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सर्वपितृ अमावस्या के श्राद्ध मुहूर्त और विधि
सर्वपितृ अमावस्या पर पितरों के श्राद्ध लिए शुभ मुहूर्त कई सारे हैं. इनमें सबसे पहला मुहूर्त कुतुप मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा. रौहिणी मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 30 मिनट से दोपहर 1 बजकर 16 मिनट तक रहेगा. अपराह्न काल में मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 16 मिनट से 3 बजकर 35 मिनट तक रहेगा. इस दिन पितरों का तर्पण करने के लिए तिल, पुष्पख् कुश और जल लेकर पितरों को अर्पित करें. इसके साथ ही पिंडदान के लिए चावल या जौ के रूप में गरीबों को भोजन कराएं. इस दिन गरीब और जरूरतमंदों को दान दें. इसे पितर प्रसन्न होंगे.
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