Sarva Pitru Amavasya 2022: कब है सर्व पितृ अमावस्या? जानें पितरों को विदा करने से जुड़ी पूरी डिटेल

ऋतु सिंह | Updated:Sep 23, 2022, 05:51 PM IST


Sarva Pitru Amavasya

Sarva Pitru Amavasya 2022: 10 सिंतबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहे हैं और पितृ पक्ष के अंतिम दिन सर्व पितृ अमावास्‍या होगी. इस दिन पितरों की विदाई की जाती है.तो चलिए जानें कब है सर्व पितृ अमावस्या और इस दिन का महत्‍व क्‍या है.

डीएनए हिंदी: हिंदू धर्म में पितृ को भी देव के रूप में पूजा जाता है. पितृ अगर खुश रहते हैं तो अपने कुल में सुख-शांति और विकास का आशीर्वाद देते हैं. वहीं अगर पितृ नाराज हो जाएं तो पूरे कुल को इसका कष्‍ट उठाना पड़ता है. हर साल पितृ पक्ष या अमावास्‍या पर पितरों की पूजा का विधान होता है. 

इस साल 10 सिंतबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहे हैं. पितृ पक्ष में पूर्वजों की किसी भी माह या साल में हुई  मृत्‍यु की तिथि के दिन श्राद्धकर्म किए जाते हैं. वहीं जिन पूर्वजों के मौत का सही समय पता नहीं होता उनके लिए सर्व पितृ अमावास्‍या पर श्राद्ध किया जाता है. 

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इस दिन पूर्वजों के निमित्त तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध कर्म करते हैं ताकि उन्हें शांति मिले और  अपने वंशजों को आशीर्वाद देकर पितृलोक लौट जाएं. भाद्रपद मास की पूर्णिमा से पितृ पक्ष आरंभ होते हैं और इसका समापन आश्विन मास की अमावस्या के दिन होता है. आइए जानते हैं कब है सर्व पितृ अमावस्या और कैसे दें इस दिन पितरों को विदाई.

कब है सर्व पितृ अमावस्या 2022
पितृ पक्ष के आखिरी दिन सर्व पितृ अमावस्या होती है और इसे पितृ विसर्जनी अमावस्या भी कहा जाता है. सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों को नाम से दान और ब्रह्रण या जरूरतमंदों को भोजन कराने से भी पूर्वज प्रसन्न होते हैं. इनके आशीर्वाद से घर में सुख-समृद्धि आती है.

सर्व पितृ अमावस्या - 26 सितंबर 2022
अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा शुरू - 26 सितंबर 2022, सुबह 3 बजकर 23 मिनट से
अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा समाप्त - 27 सितंबर 2022, सुबह 3 बजकर 8 मिनट तक

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सर्व पितृ अमावस्या पर इस विधि से करें पितरों को विदा 
सर्व पितृ विसर्जनी अमावस्या पर स्‍नानकर सफेद वस्त्र पहनें और पितरों के नाम तर्पण करें. इसके लिए दक्षिण की ओर मुखकर तांबे के लोटे में काला तिल, कच्‍चा दूध, कुश का टुकड़ा और एक पुष्‍प डालकर तर्पण दें. तर्पण करते वक्त इस मंत्र का जाप करें. 'ॐ पितृ गणाय विद्महे जगधारिण्ये धीमहि तन्नो पितरो प्रचोदयात्' और पितरों की शांति की प्रार्थना करें. इसके बाद ब्राह्रण समेत गाय, कुत्ते, कौए और चींटियों को खाना खिलाएं. इसके बाद ब्राह्मणों को वस्त्र और सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा विदा करें. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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