डीएनए हिंदी: वैसे तो पूरे साल ही शिव की पूजा (Shiv Puja) की जाती है और भोलेनाथ (Bholenath) के भक्त उन्हें याद करते हैं लेकिन सावन (Sawan 2022) का महीना कुछ खास ही होता है. इस महीने शिव भोलेनाथ के दर्शन के लिए , उनकी पूजा अर्चना के लिए शिव मंदिरों में भीड़ लगती है, श्रद्धालु दूर दूर जाते हैं और शिव के आदि स्वरूप में बने मंदिर और शिवलिंग (Shivling) के दर्शन करते हैं.
शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि यह महीना शिव और शक्ति को समर्पित करते हैं. इस महीने शिव की पूजा करने से शक्तियों की उपासना भी होती है. आईए जानते हैं इस महीने का खास महत्व क्या है.
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सावन का महीना शिव और शक्ति को समर्पित
शास्त्रों में कहा गया है कि जो सत्य है, वही सुंदर है और वह शिव है. जो सत्य है वह सुंदर दोनों ही है औ वही शिव है. भारत में भगवान शिव की पूजा-अर्चना उत्तर से लेकर दक्षिण और पूरब से लेकर पश्चिम तक आदि अनादि काल से होती चली आ रही है. शिवशंकर की स्थापना और पूजा-अर्चना इतनी सहज और सामान्य है कि हर किसी में शिव भोलेनाथ काफी लोकप्रिय हैं.
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क्यों शिव को कहते हैं सृष्टि के रचयिता
भारत में पंच देवों की मान्यता पूर्ण ब्रह्म के रूप में है, जिसमें गणेश, शिव, शक्ति, विष्णु और सूर्य की गणना की जाती है. शिव सृष्टि कर्ता, रचयिता है. इन्हें आदि, मध्य और अंत का ज्ञान है. इसलिए इन्हें महाकाल कहते हैं. शिव सभी शक्तियों को अपने अंदर समाए हुए हैं. इस धरती पर उपस्थित तमाम तरह के जीवों- भूचर, जलचर और नभचर सभी के आराध्य देव देवाधिदेव भोलेनाथ हैं. शिव किसी भी जाति, धर्म या फिर नाम से विभाजित नहीं होते हैं, उन्हें ओमकार कहा जाता है, उनके अनेक नाम हैं, क्योंकि हर कोई उन्हें अलग-अलग नामों से जानता है लेकिन वह एक हैं ओम.
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शिव शक्तियों का स्रोत हैं
शिव को सभी शक्तियों (Power) का स्त्रोत कहा जाता है. महा शिवरात्रि (MahaShivratri) के दिन शिव और शक्ति का मिलन होता है. शिव की गति को ही ‘शक्ति’ कहते हैं. जब तक शिव हैं और शक्ति हैं, मामला बिल्कुल ठीक है, क्योंकि शक्ति का पूर्ण समर्पण, शक्ति की पूर्ण भक्ति शिव मात्र के प्रति है, वहां कोई तीसरा मौजूद नहीं.
शिव-शक्ति के बीच में किसी तीसरे की गुंजाइश नहीं, तो वहां पर जो कुछ है बहुत सुंदर है. शिव केंद्र में बैठे हैं, ध्यान में, अचल, और उनके चारों तरफ गति है, सुंदर नृत्य है शक्ति का. वहां किसी प्रकार का कोई भेद नहीं, कोई द्वंद नहीं, कोई टकराव नहीं, कोई विकल्प नहीं, कोई संग्राम नहीं
त्योहारों का महीना है सावन
धार्मिक और सांस्कृतिक परम्पराओं को संजोये सावन मास समन्वय का प्रतिमान स्थापित करने वाला मास है. नियम, निष्ठा, परहेज, उपवास व धार्मिकता का प्रत्यक्ष रूप श्रावण मास में चारों ओर देखने को मिलता है. इस मास में कई त्योहार आते हैं, सावन खत्म होते ना होते ही रक्षाबंधन, सिंधारा, जन्माष्टमी और उससे पहले कांवड़ यात्रा.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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