डीएनए हिंदी: सावन का माह शुरू होने के साथ ही शिवालयों में भगवान भोलेनाथ के भक्तों की भीड़ बढ़ने लगी है. हर कोई भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहता है. इसके लिए भक्त शिवलिंग पर जलाभिषेक से लेकर बेलपत्र समेत बाबा की प्रिय चीजों को चढ़ा रहे हैं. साथ ही मनोकामना पूर्ति के लिए तरह तरह के उपाय कर रहे हैं. कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ इस माह में अपने सभी भक्तों की इच्छाएं पूर्ण कर देते हैं. महादेव जिस पर प्रसन्न हो जाएं, रातों रात उनके सभी कष्ट और समस्याएं हर लेते हैं. वहीं शिवपुराण में बताया गया है कि भगवान शिव जितनी जल्दी प्रसन्न होते हैं. उनका क्रोध भी उतना ही खतरनाक है. ऐसे में भगवान शिव की पूजा अर्चना और आराधना करते समय कुछ बातों को विशेष ध्यान रखें. अनजाने में ऐसी कोई चीज अर्पित न करें, जो भोलेनाथ को पसंद न हो. ऐसी चीजों को चढ़ाने या पास ले जाने से भी महादेव नाराज हो जाते हैं. भोलेनाथ पूजा का फल देने की जगह क्रोधित होकर रोद्र रूप ले लेते हैं. ऐसे में जान लें कि किन चीजों को भगवान शिव की पूजा अर्चना के दौरान उनसे दूर रखना चाहिए. किन चीजों को अर्पित नहीं करना चाहिए.
इन चीजों को भगवान भोलेनाथ से रखें दूर
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हल्दी का न करें इस्तेमाल
हिंदू धर्म में होने वाली पूजा हवन से लेकर किसी भी धार्मिक कार्य में हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है. इसे भगवान को तिलक से लेकर सात्विक बनाया जाता है, लेकिन भगवान भोलेनाथ की पूजा में हल्दी का प्रयोग नहीं किया जाता. इसे भगवान नाराज हो जाते हैं. इसकी वजह हल्दी का इस्तेमाल सौंदर्य बढ़ाने वाली चीजों में किया जाना है. वहीं शिवलिंग को पुरुषों से जुड़ा तत्व माना जाता है. ऐसे में शिवलिंग पर हल्दी का प्रयोग नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से भोलेनाथ क्रोधित हो जाते हैं. मनोकामना को पूर्ण नहीं करते.
तुलसी का पत्ता
तुलसी का पौधा ज्यादातर हिंदू धर्म के घरों में पूजा जाता है. लोग इस पौधे को घर के आगन या छत पर जरूर लगाते हैं. तुलसी का प्रयोग हर शुभ कार्यों में किया जाता है. इतना ही नहीं भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना में तुलसी का रखना अनिवार्य होता है. वहीं भगवान शिव की पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं किया जाता है. इसकी पीछे एक पौराणिक कथा बताई गई है. इसमें कहा गया है कि भगवान शिव ने तुलसी के पति असुर जालंधर का वध कर दिया था. इसे तुलसी जी क्रोधित हो गई थी. उन्होंने क्रोध में आकर खुद को भगवान शिव की पूजा से वंचित कर लिया.
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केतकी या केवड़े के फूल
शास्त्रों के अनुसार, भोलेनाथ की पूजा अर्चना के दौरान शिवलिंग पर केतकी या कनेर व लाल रंग के फूल जैसे कमल आदि अर्पित नहीं किए जाते. इसे भगवान नाराज हो जाते हैं. इसकी जगह पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, पीपल के पत्तों के भगवान शिव की पूजा में शामिल करने के साथ ही शिवलिंग पर अर्पित कर सकते हैं.
शंख का नहीं किया जाता प्रयोग
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, भगवान शिव की पूजा अर्चना में शंख का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इसके पीछे की शंखचूड के वध से जोड़कर बताया गया है. पौराणिक कथा के अनुसार, दैत्य शंखचूड से देवी देवता बहुत ज्यादा परेशान थे. इस पर भगवान शिव ने त्रिशूल से शंखचूड का वध कर दिया था. इसके बाद उसका शरीर भस्म हो गया. उसी भस्म से शंख की उत्पत्ति हुई. बताया जाता है कि यही वजह है कि भगवान शिव की पूजा में शंख का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
नारियल पानी
भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना के लिए दूध, शहद, दही से लेकन गन्ने के रस इस्तेमाल किया जाता है. शिवलिंग पर इन सभी चीजों को अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं, लेकिन नारियल या नारियल के पानी को भगवान शिव को अर्पित नहीं करना चाहिए. कहा जाता है कि देवी देवताओं पर अर्पित चीजों को स्वय ग्रहण किया जा सकता है, लेकिन शिवलिंग पर अर्पित चीजों को ग्रहण करना वर्जित होता है. इसी वजह से नारियल या उसके पानी शिवलिंग पर अर्पित नहीं किया जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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