Shani Amavasya 2022 : 30 अप्रैल को शनि पूजा करने से मिलेंगे मनवांछित फल

| Updated: Apr 29, 2022, 01:40 PM IST

शनिदेव को क्यों चढ़ाया जाता है तेल

शनि अमावस्या के दिन पितरों से जुड़े कार्य जैसे पिंडदान व तर्पण आदि किया जाता है. इससे देवी देवता प्रसन्न रहते हैं.

डीएनए हिंदी : 30 अप्रैल को शनि अमावस्या(Shani Amavasya) है. हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है. वैशाख की इस अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान, पूजा, तप और दान का विधान है. मान्यता है कि इस दिन पूजा-पाठ, तप व दान करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं. इस शनि अमावस्या के दिन पितरों से जुड़े कार्य जैसे पिंडदान व तर्पण आदि किया जाता है.


पीपल के पेड़ के नीचे दिया जलाएं
अमावस्या को पीपल के पेड़ के नीचे दीया जलाने से पितृ और देवता प्रसन्न होते हैं. इस दिन सुबह-शाम घर के मंदिर और तुलसी पर दीया लगाने से कलह और दरिद्रता मिटती है. प्रत्येक अमावस्या को घर की सफाई कर सभी प्रकार का कबाड़ घर से निकाल दें, इससे रुके काम बनते हैं और बाधाएं दूर होती हैं.
इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण और पिंडदान तथा दान देने का भी खास महत्व है. ’ शनि अमावस्या(Shani Amavasya) के दिन अपने पितरों का ध्यान करते हुए पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, थोड़ा गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल तथा पुष्प अर्पित करें. ’ ॐ पितृभ्यः नमः मंत्र’ का जाप करें तथा पितृसूक्त का पाठ करना शुभ फल प्रदान करता है. 


ऐसे हो सकती है गुप्त मनोकामना की पूर्ति
आज सांयकाल आटे की एक पिंड बनायें. पिंड का आकार थोड़ा बड़ा होना चाहिए. उस पिंड को बटवृक्ष के पत्ते पर रखकर अपने सभी पित्तरों, मृत पूर्वजों के नाम एक-एक तिलक करें. उसके बाद एक कपूर जलाकर अपनी मनोकामना का स्मरण करें. कपूर जलने के बाद उस पिंड को पानी में प्रवाहित कर दें. 

(जानकारी स्रोत : आचार्य डॉक्टर विक्रमादित्य)

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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