डीएनए हिंदी: (Pradosh Vrat 2023) जीवन में भगवान की कृपा हर कोई पाना चाहता है. इसके लिए लोग घंटों पूजा पाठ करने से लेकर दान पुण्य करते हैं. इन्हीं में से एक भगवान शिव जी की कृपा पाने का सबसे सरल उपाय प्रदोष व्रत है. सच्चे मन से प्रदोष व्रत रखने से ही भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं. सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं. इस व्रत को कोई भी कर सकता है. प्रदोष व्रत हर माह आता है. इस आषाढ़ माह का आखिरी प्रदोष व्रत शनिवार के दिन एक जुलाई को होगा. इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत भी कहते हैं. आइए जानते हैं तो प्रदोष व्रत करने की तिथि, विधि मुहूर्त और महत्व...
शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्रत के महात्म्य को पवित्र गंगा नदी के तट पर श्री सूत जी ने सौनक आदि ऋषियों के समूह के बीच सुनाया था. कहा जाता है सूत जी ने बताया कि कलियुग में जब हर तरफ अन्याय, पाप और अत्याचार हो रहा होगा. उस समय प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव जी की कृपा मिलेगी. इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को शिवलोक में जगह मिलेगी. इसके साथ ही उसके सभी पाप और कष्ट खत्म हो जाएंगे. यह व्रत बहुत ही कल्याणकारी हैं.
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जानें प्रदोष व्रत की तिथि और समय
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी 30 जून की रात एक बजकर 16 मिनट से शुरू होगी. इसका समापन एक जुलाई के मध्य रात 11 बजकर 7 मिनट पर होगा. ऐसे में प्रदोष व्रत शनिवार के दिन एक जुलाई को रखा जाएगा. वहीं पूजा का समय शाम 7 बजकर 23 मिनट से 9 बजकर 24 मिनट तक रहेगा.
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भगवान शिव, शनि और हनुमान जी की करें उपासना
इस बार प्रदोष व्रत शनिवार को पड़ रहा है. इसे शनि प्रदोष व्रत भी कहते हैं. प्रदोष व्रत को रखने के लिए सुबह के स्नान कर पूजा पाठ करें. साथ ही भगवान शिव के साथ ही शनिदेव और हनुमान जी की उपासना करें. उन्हें फल और फूल अर्पित कर अपनी मनोकामना भगवान के सामने बताएं. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करने से वैवाहिक जीवन में भी सुख संपत्ति आती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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