Shani Pradosh Vrat: इस दिन रखा जाएगा भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत, जानें शनिप्रदोष की तिथि से लेकर शुभ मुहूर्त और महत्व

नितिन शर्मा | Updated:Aug 30, 2024, 08:44 AM IST

हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इसमें भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं. भगवान सभी मनोकामनाओं को पूर्ण कर विशेष कृपा करते हैं.

Shani Pradosh Tithi And Date: महादेव और माता पार्वती की पूजा अर्चना के लिए प्रदोष व्रत का बड़ा महत्व है. प्रदोष व्रत रखने से महादेव की कृपा प्राप्त होती है. हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखकर महादेव के भक्त विधि-विधान से उनकी पूजा अर्चना करते हैं. इस बार भाद्रपद माह का पहला प्रदोष व्रत शनिवार को पड़ रहा है. इसलिए प्रदोष व्रत को शनिप्रदोष व्रत कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन महादेव की पूजा अर्चना करने से न सिर्फ भगवान प्रसन्न होंगे. शनि का प्रकोप भी कम हो जाएगा. साढ़े साती से लेकर ढैय्या के प्रभाव से मुक्ति मिलेगी. घर में सुख शांति और समृद्धि बढ़ेगी. आइए जानते हैं इस बार प्रदोष व्रत की तिथि से लेकर शुभ मुहूर्त और इसका महत्व...

इस दिन रखा जाएगा प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat Date)

भाद्रपद महा के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 30 अगस्त की शुक्रवार देर रात 2 बजकर 26 मिनट से शुरू होकर 31 अगस्त शनिवार को देर रात 3 बजकर 41 मिनट तक रहेगी.  ऐसे में उदयतिथि को देखते हुए प्रदोश व्रत 31 अगस्त शनिवार को रखा जाएगा. यही वजह है कि यह शनिप्रदोष होगा. शनि प्रदोष व्रत में पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर 7 बजकर 44 मिनट तक रहेगा. इसमें भगवान शिव और पार्वती की पूजा अर्चना और ध्यान करने से मनोकामना की पूर्ति होगी. हर काम बनते चले जाएंगे. 

यह है शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि (Shani Pradosh Vrat Puja Vidhi)

शनि प्रदोष व्रत में सुबह उठते ही स्नान और भगवान शिव का ध्यान करें. इसके बाद घर की साफ सफाई कर शाम के समय संध्याकाल में पूजा भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करें. भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित करें. दोनों जलाभिषेक करें. साथ ही बेलपत्र, कनेर के फूल अर्पित करें. घी का दीपक जलाकर भगवान की आरती कर भोग लगाएं. साथ ही शिव चालीसा का पाठ भी करें. इससे आपकी मनोकामना पूर्ण होगी.

क्या है शनि प्रदोष व्रत का महत्व (Shani Pradosh Vrat Mehatav)

शनि प्रदोष व्रत का बड़ा महत्व है. इसकी वजह शनिदेव का भगवान शिव का परम भक्त होना है. शनिवार को प्रदोष व्रत का आना बेहद शुभ माना जाता है. इसमें शनिदोष या उनकी साढ़े साती से पीड़ित लोग भगवान शिव की आराधना कर राहत पा सकते हैं. शनिदेव ऐसे लोगों पर कृपा करते हैं. साथ ही सभी तरह के दोषों से मुक्ति मिल जाती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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