Shani Dev Secrets: शनिदेव की आंखों में देखने से क्यों डरते हैं लोग, जानें हैरान कर देने वाले 5 रहस्य

Written By नितिन शर्मा | Updated: May 11, 2024, 07:22 AM IST

Shanidev Puja: ग्रहों में न्याय के देवता कहे जाने वाले शनि ही एक ऐसे ग्रह है, जो व्यक्ति को रंक से राजा बना देते हैं, लेकिन उनकी दृष्टी में देखना किसी के लिए भी भारी पड़ सकता है. आइए जानते हैं इसकी वजह और शनिदेव के 5 रहस्य

Shanidev Secrets And Blessings: नौ ग्रहों में न्यायधिश की उपाधि प्राप्त करने वाले शनिदेव कर्मों के अनुसार फल देते हैं. शनि बुरे कर्मों का बेहद कठोर तो अच्छे कर्मों का लाभ भी देते हैं. ज्योतिषाचार्य के अनुसार, शनिदेव की कृपा (Shanidev Blessings) व्यक्ति को रंक से राजा और कू दृष्टि राजा से रंक बना सकती है. शनिदेव तिल, तेल, गुड़ और काला रंग बहुत ही प्यारा है. यही वजह है कि शनिदेव की पूजा अर्चना में उन्हें यह सभी चीजें अर्पित की जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि शनिदेव की आंखों में क्यों नहीं देखना चाहिए. या फिर उनके सामने खड़े होने से भी व्यक्ति को डर क्यों लगता है. आइए जानते हैं इसके पीछे का रहस्य और भगवान महिमा क्या है. 

यह है शनिदेव के न्यायाधीश होने का रहस्य

सभी नौ ग्रहों में महत्वपूर्ण ग्रह और देवताओं को एक खास उपाधि मिली है. जिस तरह सूर्य देव (Surya Dev) को ग्रहों का राजा, बुध को मंत्री, मंगल को सेनापति माना जाता है. ठीक उसी तरह शनिदेव को न्यायधीश की उपाधि प्राप्त है. जब भी समाज में कोई व्यक्ति को अपराध करता है. तब शनिदेव उसके बुरे कर्मों का लेखा जोखा तैयार करते हैं. उसके अनुरूप ही व्यक्ति को सजा भी मिलती है. शनि ढैय्या और साढ़े साती से लेकर राहु और केतु दंड देने के लिए सक्रिय हो जाते हैं. 

क्या है शनिदेव की टेढ़ी दृष्टी का रहस्य

अक्सर धर्म और पूजा पाठ के जानकार लोग कहते हैं कि शनिदेव के सामने खड़े होकर उनकी पूजा अर्चना नहीं करनी चाहिए. भगवान की आंखों में नहीं देखा चाहिए. इसके पीछे की वजह क्या है. पंडित रामअवतार शास्त्री के अनुसार, शनिदेव की प्रतिमा के बिल्कुल सामने खड़े होकर पूजा नहीं करनी चाहिए. न ही शनिदेव की मूर्ति को घर में स्थापित करना चाहिए. इसकी वजह शनि की टेढ़ी नजर का पड़ना है. शनि की टेढ़ी नजर पड़ते ही व्यक्ति का बुरा वक्त शुरू हो जाता है. व्यक्ति को तमाम परेशानी और कष्टों का सामना करना पड़ता है. 

जानें क्यों शनिदेव की दृष्टि से डरते हैं लोग

कथाओं के अनुसार, शनिदेव की पत्नी परम तेजस्विनी थी. एक रात पुत्र प्राप्ति के लिए वह शनिदेव भगवान के पास आई, लेकिन शनिदेव भगवान विष्णु के ध्यान में मग्न थे. पत्नी ने काफी प्रतीक्षा की लेकिन शनि देव का ध्यान खत्म नहीं हुआ. उन्होंने शनिदेव से आग्रह किया, लेकिन उन्होंने उसे अनसुना कर दिया. इस पर शनिदेव की पत्नी को क्रोध आ गया. उन्होंने शनिदेव को श्राप दिया कि वो जिसे भी देखेंगे वह नह हो जाएगा. यही वजह है कि शनिदेव की दृष्टी से बचने की सलाह दी जाती है. उनकी आंखों में देखने से बचना चाहिए. 

शनिदेव पर क्यों चढ़ाते हैं तेल  

कथाओं के अनुसार, एक बार सूर्यदेव के शिष्य भगवान हनुमान उनके कहने पर शनिदेव को समझाने गये थे. हनुमान जी लाख समझाने पर शनिदेव नहीं माने और जबरन युद्ध करने के लिए तैयार हो गये. युद्ध में हनुमान जी ने शनिदेव को हरा दिया. इस युद्ध में शनि बुरी तरह घायल हो गये. इस पर हनुमान जी ने शनिदेव के घाव और दर्द कम करने के लिए सरसों का तेल लगाया. इस पर शनिदेव ने कहा कि जो कोई भी मुझे तेल अर्पित करेगा. मैं उसे पीड़ा नहीं होने दूंगा. उसके कष्टों को हर लूंगा. इसके बाद से शनि पर तेल चढ़ाने की परंपरा है. 

शनिदेव पर क्यों जलाते हैं दीपक

शनिदेव का सबसे प्रिय दिन शनिवार है. इस दिन ज्यादातर लोग शनिदेव की प्रतीमा या फिर पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाते हैं. बताया जाता है कि शनिदेव अंधकार के प्रती हैं. वह सूर्यास्त के बाद बहुत शक्तिशाली हो जाते हैं. शनि बिगड़ जाएं तो जीवन में कष्ट और दरिद्रता का प्रवेश हो जाता है. ऐसे में शनिवार की शाम को दीपक जलाने से जीवन का अंधकार दूर हो जाता है. शनिदेव प्रसन्न होते हैं. 

काला क्यों है शनिदेव का रंग

शनिदेव के ग्रहों के राजा सूर्य के पुत्र हैं. उनकी माता छाया है. ज्योतिष कथाओं के अनुसार, गर्भ में रहने के दौरान शनि देव सूर्य का तेज सहन नहीं कर पाए. वहीं उनकी मां छाया की छवि शनिदेव पर पड़ी. इसकी वजह से ही शनिदेव का रंग काला पड़ गया. शनि के रंग को देखकर सूर्य ने उन्हें अपना पुत्र मानने से इंकार कर दिया. शनिदेव को पिता की यह बात सहन नहीं हुई. इसी के बाद से शनि और सूर्य में शत्रुता का भाव है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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