डीएनए हिंदी: (Shanidev Worship Rules) न्याय के देवता शनिदेव की आराधना करने से व्यक्ति के सारे बिगड़े काम बन जाते हैं. उसे जीवन में सफलता प्राप्त होती है, लेकिन इसमें होने वाली छोटी सी भूल या गलती भगवान शनिदेव को नाराज कर सकती है. इसे शनि देव की कू दृष्टी व्यक्ति पर पड़ती है, जिसके के प्रभाव से जीवन संकटों से भर जाता है. हर तरफ परेशानी और समस्या आकर खड़ी हो जाती है. इसकी वजह शनिदेव की आराधना पूजा अर्चना में बहुत से नियम होते हैं. अगर आप भी शनिदेव की पूजा करते हैं और उन्हें प्रसन्न करना चाहते हैं तो इन नियमों को ध्यान रखना बेहद जरूरी है. इन नियमों ध्यान रखें. छोटी सी भूल या गलती होने पर न्याय के देवता से तुरंत गलती मानें. अन्यथा उनके आशीर्वाद की जगह पर आपको गुस्से का सामना करना पड़ सकता है.
शनिदेव को शनिवार का दिन बहुत ही प्रिय है. यह दिन शनिदेव को ही समर्पित है. माना जाता है कि इस दिन न्याय के देवता शनिदेव की पूजा अर्चना करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं. वह सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं. इस दिन पूजा करने के कुछ नियम होते हैं, जिनकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए. ऐसा करने से भगवान नाराज होते हैं. साथ ही व्यक्ति को इसके बदले में कष्टों को भोगना पड़ता है.
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-अगर आप भी शनिदेव की पूजा करते हैं तो कभी भी उनकी पूजा में तांबे के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. क्योंकि तांबे का सीधा संबंध सूर्य देव से होता है. शनिदेव सूर्य के पुत्र हैं, लेकिन अपने पिता से उनका तनाव है. ऐसे में शनिदेव को उनकी प्रिय धातु लोहे के बर्तनों को ही पूजा में शामिल करना चाहिए.
-शनिदेव की पूजा करते हैं तो इस दिन काले रंग या नीले रंग के कपड़े पहने. शनि देव को यही दो रंग बेहद पसंद हैं. इनके अलावा दूसरे रंग के कपड़े पहनकर शनिदेव की पूजा करने से न्याय के देवता क्रोधित होते हैं.
-शनिदेव की पूजा में दिशाओं का बहुत ज्यादा ध्यान रखना चाहिए. उनकी पूजा करते समय पूर्व दिशा की तरफ ही मुख रखें. शनिदेव की पूजा पश्चिम दिशा की ओर मुख करके नहीं करनी चाहिए. इसकी वजह शनिदेव का पश्चिम दिशा का स्वामी होना है.
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-शनिदेव की पूजा कभी भी भगवान की मूर्ति के ठीक सामने खड़े होकर नहीं करनी चाहिए. साथ ही पूजा के समय शनिदेव की आंखों में देखने से बचना चाहिए. माना जाता है ऐसा करने से शनिदेव की कुदृष्टि पड़ती है, जिस पर भी यह पड़ती है. उसका अनिष्ट हो जाता है.
-महिलाओं को शनिदेव की पूजा करनी चाहिए, लेकिन इसके लिए चबूतरे पर नहीं जाना चाहिए. साथ ही उनकी मूर्ति को स्पर्श भी नहीं करना चाहिए. इस दिन शनिदेव को गुड़, तिल तेल और खिचड़ी को भोग लगाना चाहिए.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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