डीएनए हिंदी: Mauni Or Shani Amavasya 2023 Shubh Yog- हिंदू पंचाग और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक महीने में दो पक्ष होते हैं, पहला शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष. इन दोनों पक्षों में एक से लेकर चौदह तक की तिथियां समान होती है, लेकिन अंतिम तिथि में अंतर होता है. दरअसल शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पूर्णिमा (Purnima) होती है और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या (Amavasya). वैसे तो सभी तिथियों का अपना एक खास महत्व होता है लेकिन धार्मिक ग्रंथों में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. इस तिथि पर दीपावली, कुशग्रहणी अमावस्या, मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2023) आदि पर्व मनाया जाता है. साल 2023 शुरू चुका है, इस साल कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है. इस बार जनवरी के महीने में मौनी अमावस्या के साथ-साथ शनिश्चरी अमावस्या (Shani Amavasya 2023) का भी संयोग बन रहा है, जो कि बहुत ही खास माना जाता है. तो चलिए जानते हैं कब है मौनी अमावस्या और क्यों है यह इतना खास.
मौनी अमावस्या और शनिश्चरी का संयोग (Mauni Amavasya or Shani Amavasya 2023 Date)
इस बार माघ मास की अमावस्या तिथि 21 जनवरी दिन शनिवार को सुबह 06:17 से रात 02:23 बजे तक रहेगी.
मौनी अमावस्या शनिवार के दिन पड़ रहा है इसलिए इसे शनिश्चरी अमावस्या भी कहेंगे. ऐसा संयोग कई सालों में एक बार बनता है जब मौनी और शनिश्चरी अमावस्या एक साथ हो. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस शुभ संयोग में स्नान-दान आदि करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. इसके अलावा शनिवार को पूरे दिन अमावस्या तिथि होने से इस दिन श्राद्ध, पूजा आदि करना भी शुभ होगा.
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इस दिन बन रहे हैं ये शुभ योग (Mauni Amavasya Shubh Yog)
इस बार मौनी अमावस्या से पहले पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र सुबह 09.40 तक रहेगा. इसके बाद रात के अंत तक उत्तराषाढ़ा नक्षत्र रहेगा. इसके अलावा 21 जनवरी को पहले पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र होने से मातंग और उसके बाद उत्तराषाढ़ा नक्षत्र होने से चर नाम के 2 शुभ योग का भी निर्माण हो रहा है. इस समय शनि अपनी स्वराशि कुंभ और गुरु अपनी स्वराशि मीन में रहेंगे. वहीं सूर्य ग्रह मकर राशि में होंगे. इस दौरान सभी ग्रहों की स्थिति अनुकूल रहेगी. ऐसे में इसका शुभ प्रभाव सभी राशियों पर देखने को मिलेगा.
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इसलिए खास है ये तिथि (Mauni Amavasya Mahatva)
शास्त्रों के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन यदि व्यक्ति संकल्प लेकर पूरे विधि-विधान से मौन व्रत रखता है तो उसे उसके पापकर्मों से मुक्ति मिल जाती है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मौन या शांत रहने का तात्पर्य है मन के भीतर जो भी कमियां नजर आ रही हैं, उसे समझ कर उसका निवारण करना. इसके अलावा मौन का मतलब होता है अपने मन को एकाग्र करना और प्रभु के नाम का स्मरण करना. कहा जाता है इस दिन दान-पुण्य करने से इसका फल 16 गुना अधिक प्राप्त होता है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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