Shaniwar Upay: शनिवार को करें ये खास उपाय सभी दोषों सें मिलेगा छुटकारा, दूर होगी शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या

Written By Aman Maheshwari | Updated: Apr 29, 2023, 06:41 AM IST

Shaniwar Upay

Shaniwar Upay: शनिवार को शनि की भक्ति से कई दोषों से छुटकारा मिलता है. शनिवार को खास उपाय करने से शनि देव की कृपा बनी रहती है.

डीएनए हिंदीः धार्मिक मान्यताओं के दिन शनिवार का दिन शनि देव (Shani Dev) को समर्पित माना जाता है. शनिवार के दिन विधि-विधान से पूजा-अर्चना (Shaniwar Upay) करने से शनि देव (Shani Dev) प्रसन्न होते हैं और जातकों को शनि दोषों से मुक्ति मिलती है. शनिवार को शनि की भक्ति और विशेष उपायों (Shaniwar Upay) से कई दोषों से छुटकारा मिलता है. शनिवार को कुछ खास उपाय (Shaniwar Upay) करने से शनि देव (Shani Dev) की कृपा बनी रहती है. तो चलिए शनिवार के दिन शनि (Shani Dev) की कृपा पाने और शनि दोषों को दूर करने के लिए किए जाने वाले उपायों (Shaniwar Upay) के बारे में जानते हैं.

शनि दोषों से मुक्ति दिलाएंगे ये खास उपाय (Shaniwar Upay For Remove Shani Dosha)
शनिवार को कौवे को खिलाएं रोटी

कौवे को शनि देव का प्रिय माना जाता है. ऐसे में कौवे को रोटी खिलाने से शनि देव प्रसन्न होते हैं. शनि देव को प्रसन्न करने और शनि दोषों से मुक्ति के लिए कौवे को रोटी खिलानी चाहिए.

पीपल के वृक्ष की करें पूजा
शनिवार को शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए यह विशेष उपाय करना चाहिए. आपको शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे जल चढ़ाने के बाद तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए.

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काले कुत्ते को खिलाएं खाना
शनिदेव का वाहन काला कुत्ता होता है. ऐसे में शनिवार के दिन काला कुत्ता दिखने पर उसे रोटी या बिस्किट जरूर खिलाएं. शनिवार के दिन इस खास उपाय से आपको शनि की विशेष कृपा प्राप्त होगी.

शनिवार को करें दान-पुण्य
शनिवार के दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों को दान करना चाहिए. ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और सभी दोष दूर करते हैं. इस दिन काला छाता, काला कंबल, उड़द और जूते-चप्पल का दान करना चाहिए. शनिवार के दिन इन चीजों को दान करने का विशेष महत्व है. 

शनि रक्षा स्त्तोत का पाठ
शनिवार के दिन शनि रक्षा स्त्रोत का पाठ करना चाहिए. शनिवार के दिन शनि रक्षा स्त्रोत का पाठ करने से शनि की साढ़े साती, ढैय्या और शनि दोष से मुक्ति मिलती है.

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"शनि रक्षा स्त्तोत"
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते
तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्
देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:
प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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