डीएनए हिंदीः उत्तराखंड में चार धाम की यात्रा (Char Dham Yatra 2023) के लिए सभी धामों के कपाट खोल दिए गए हैं. सभी धामों में प्रमुख केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) के कपाट भी 25 अप्रैल 2023 को खुल चुके हैं. केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) के कपाट खुलने के साथ ही वहां पर पहले दिन करीब 18 हजार श्रद्धाुओं ने दर्शन किए. हालांकि मंदिर में बाबा के दर्शन के लिए ज्योतिष पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Swami Avimukteshwaranand) को दर्शन के लिए जाने से रोका गया.
बता दें कि, जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Swami Avimukteshwaranand) को मंदिर समिति के सीईओ ने प्रोटोकॉल न होने की वजह से दर्शन के लिए नहीं जाने दिया. इसके बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने करीब 1 घंटे तक शंकराचार्य के समाधि स्थल पर धरना दिया. वहीं जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Swami Avimukteshwaranand) की इस उपेक्षा की वजह से धर्मनगरी हरिद्वार में संतों में रोष की स्थिति है. संतों ने इस निंदा के खिलाफ आंदोलन करने की चेतावनी भी दी हैं.
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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को दर्शन के लिए रोकने को बताया दुर्भाग्यपूर्ण
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को केदारनाथ धाम में दर्शन के लिए जाने से रोकने को हरिद्वार के श्रीजयराम आश्रम के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उनका कहना है कि शंकराचार्य को शंकर का स्वरूप माना जाता है. ऐसे में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को दर्शन के लिए जाने से रोकना हमारी संस्कृति के लिए बड़े ही दुर्भाग्य की बात है. शंकर के स्वरूप में विराजमान शंकराचार्य को शिव के दर्शन करने से रोकना बड़े ही अपमान की बात है.
शंकराचार्य को हैं प्रथम दर्शन का अधिकार
केदारनाथ में मुख्य पुजारियों को शंकराचार्य को अपने साथ प्रथम दर्शन के लिए ले जाना चाहिए था. ऐसे में दर्शन के लिए आए श्रद्धालुओं को भी खुशी होती कि शंकराचार्य जी दर्शन के लिए आए हैं.
भविष्य में न हो ऐसी गलती
शंकराचार्य हमारे देश के धर्माचार्य के सर्वोच्च सत्ता है. उनकी निंदा नहीं होनी चाहिए. केदारनाथ धाम में भगवान शिव के दरबार की तरह शंकराचार्य महाराज की स्मारक को भी सजाया जाना चाहिए था. लेकिन यहां पर सही से सफाई भी नहीं कि गई थी. भारत साधु समाज के राष्ट्रीय प्रवक्ता स्वामी ऋषिश्वरानंद ने कहा कि ज्योतिष पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को दर्शन के लिए रोकना बहुत ही गलत है. साधु समाज में इसको लेकर बहुत ही रोष हैं. भविष्य में भी ऐसी घटनाएं होती रही तो निश्चित रूप से आंदोलन खड़ा हो सकता है.
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