Navratri: 10 वर्ष तक ही कन्या पूजी जाती हैं, जानें किस उम्र में देवी का कौन सा होती हैं स्वरूप

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Sep 30, 2022, 11:47 AM IST

जानें किस उम्र की कन्या कौन सी देवी की मानी जाती हैं स्वरूप

Kanya Puja: दुर्गा अष्टमी 3 अक्टूबर को मनाया जाएगा. कन्या पूजन में किस उम्र तक की कन्या को देवी का स्वरूप माना गया है यह जरूर जान लें.

डीएनए हिंदी:  (Shardiya Navratri 2022 Kanya Puja) शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है. मां दुर्गा को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए कन्या पूजन किया जाता है. कन्याओं को साक्षात मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है. मान्यता है कि नवरात्रि में कन्या पूजन करने से देवी भगवती की कृपा प्राप्त होती है. नवरात्रि (Shardiya Navratri 2022) के दौरान अष्टमी तिथि यानि दुर्गा अष्टमी या महा अष्टमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है, जिसे कुमारी पूजा और कंजक पूजा भी कहा जाता है. इस साल दुर्गा अष्टमी 03 अक्टूबर को मनाया जाएगा जिस दिन आप विधि-विधान से कन्या (Kanya Puja2022) पूजन कर सकते हैं.

कन्या पूजन में आप किस उम्र की कन्या का पूजन कर रहे हैं, यह भी महत्वपूर्ण होता है. कन्या पूजन में 1 से 9 साल तक कि कन्या को मां दुर्गा की विभिन्न स्वरूपों के रूप में देखा जाता है.

निश्चित उम्र तक की कन्या का करें पूजन (Age limit of girls for kanya pujan and all about it)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि की अष्टमी या महा अष्टमी को 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं का पूजन करना चाहिए. इन कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है.  धामिर्क ग्रंथों में इससे अधिक उम्र की कन्या पूजन का विधान नहीं है.

किस उम्र की कन्या में होता है कौन सी देवी वास 

दो वर्ष तक की कन्याओं को मां कुंआरी का स्वरूप माना जाता है. कहा जाता है इनकी पूजा करने से धन से जुड़े संकट दूर होते हैं साथ ही इससे धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.

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दो से तीन साल तक की कन्याओं को देवी त्रिमूर्ति का स्वरूप माना जाता है. ऐसे में इनकी पूजा अर्चना करने से धन, धान्य और जीवन में सकारात्मकता आती है.

चार वर्ष की कन्याओं की पूजा  देवी कल्याणी के रूप में की जाती है. मान्यता है कि इनकी पूजा करने से परिवार के सदस्यों का कल्याण होता है और जीवन सुखमय होता है.

पांच साल की कन्याओं को देवी रोहिणी का रूवरूप माना जाता है. इनकी पूजा करने से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है और परिवार के सदस्य सेहतमंद बने रहते हैं.

छह साल की कन्या का पूजन मां कालिका के रूप में किया जाता है. यह देवी शक्ति और विजय का प्रतीक मानी जाती हैं. ऐसे में इनकी पूजा करने से शक्ति और विजय की प्राप्ति होती है.

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सात वर्ष की कन्याओं को मां चंडिका का रूप माना जाता है, जिन्हें मां दुर्गा का उग्र स्वरूप माना जाता है. मां दुर्गा के इस रूप की पूजा करने से विजय, धन, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.

आठ साल की कन्याओं को देवी शांभवी का स्वरूप माना जाता है, इनकी पूजा करने से कोर्ट कचहरी या वाद विवाद से जुड़े मामलों में सफलता प्राप्त होती है.

नौ वर्ष की कन्या को साक्षत् मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है. कहा जाता है कि इस कन्या की पूजा करने से शत्रु पराजित होते हैं और सफलता प्राप्त होती है. 

10 वर्ष की कन्याओं को देवी सुभद्रा का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है, इस रूप में पूजा कन्या पूजन करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाओं पूरी होती हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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