Shardiya Navratri 2023: नवरा​त्रि के पांचवें दिन करें मां स्कंदमाता की पूजा, जानें पूजा विधि ​से लेकर मंत्र, आरती और माता का भोग

Written By नितिन शर्मा | Updated: Oct 19, 2023, 07:02 AM IST

शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में आज पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है. स्कंदमाता का अर्थ ज्ञान और आचरण से हैं. माता रानी की पूजा करने से ज्ञान और शक्ति प्राप्त होती है. आइए जानते हैं माता की पूजा विधि, आरती और मंत्र

डीएनए हिंदी: नवरात्रि के नौ दिन माता रानी सम​र्पित है. माता के नौ स्वरूपों की अलग अलग दिन पूजा की जाती है. आज नवरात्रि का पाचंवां दिन है. यह दिन माता स्कंदमाता को समर्पित है. माता की पूजा अर्च​ना से सुख संपत्ति की प्राप्ति की होती है. मां की आरती और प्रिय भोग लगाने से स्कंद माता के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है. स्कंद का अर्थ है ज्ञान को आचरण में लाकर कार्य करना. वहीं स्कंदमाता ऊर्जा का वह रूप है, जिनकी पूजा करने से ज्ञान और शुभ फलों की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में कहा गया है कि स्कंद माता इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति और कर्म शक्ति का ही एक मिश्रण है. जब शिव समेत त्रिशक्ति के साथ मिलन होता है. तब स्कंद "कार्तिकेय" का जन्म होता है. आइए जानते हैं माता स्कंदमाता की पूजा अर्चना, आरती, भोग और मंत्र...

स्कंदमाता की पूजा अर्चना विधि

नवरात्रि के पांचवें दिन सुबह स्नान करने के साफ सुथरे कपड़े पहनें. इसके बाद माता का ध्यान करें. माता की पूर्ति को गंगा जल से पवित्र करने के साथ ही फल और फूल अक्षत करें. मां को प्रसाद के रूप में मिठाई और फलों को भोग लगाएं. मां का दीपक शुद्ध घी से जलाएं. सच्चे मन और श्रद्धा-भाव के साथ मां की पूजा करें और आरती करें. माता के मंत्रों का जाप करें. 

माता रानी को इन चीजों को लगाएं भोग

स्कंदमाता की पूजा अर्चना के बाद उन्हें सबसे प्रिय फल केले का भोग लगाएं. यह माता का प्रिय फलों में एक है. इसके अलावा माता रानी को खीर का भोग लगा सकते हैं. इसे माता को भोग लगाने के बाद कन्याओं में प्रसाद के रूप में बांट दें. 

स्कंदमाता का मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

स्कंदमाता की आरती 

जय तेरी हो स्कंद माता.
पांचवां नाम तुम्हारा आता.

सबके मन की जानन हारी.
जग जननी सबकी महतारी.

तेरी जोत जलाता रहू मैं.
हरदम तुझे ध्याता रहू मै.

कई नामों से तुझे पुकारा.
मुझे एक है तेरा सहारा.

कही पहाडो पर है डेरा.
कई शहरों में तेरा बसेरा.

हर मंदिर में तेरे नजारे.
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे.

भक्ति अपनी मुझे दिला दो.
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो.

इंद्र आदि देवता मिल सारे.
करे पुकार तुम्हारे द्वारे.

दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए.
तू ही खंडा हाथ उठाए.

दासों को सदा बचाने आयी.
भक्त की आस पुजाने आयी.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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