Shardiya Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन ऐसे करें महागौरी की पूजा, जानें आरती, कथा और मंत्र   

Written By नितिन शर्मा | Updated: Oct 21, 2023, 05:57 PM IST

Maa Mahagauri

कल यानि 22 अक्टूबर 2023 दिन रविवार को शारदीय नवरात्रि की अष्टमी है. इसे दर्गा अष्टमी भी कहा जाता है. यह दिन माता महागौरी को समर्पित होता है. यहां जानिए दुर्गा अष्टमी पर माता की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, आरती और कथा.

डीएनए हिंदी: शारदीय नवरात्रि का आंठवां दिन 22 अक्टूबर 2023 रविवार को है. यह दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी को समर्पित है. इस दिन को दुर्गा अष्टमी भी कहा जाता है. इस दिन महागौरी की की विधिवत पूजा अर्चना करने के साथ ही कन्याओं की पूजा की जाती है. नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां महागौरी स्वरूप की उपासना की जाती है. मां महागौरी का रंग पूरी तरह से गोरा होने की वजह से ही उनका नाम महागौरी पड़ा. माता महागौरी को श्वेताम्बरधरा भी कहा जाता है. महागौरी माता रानी चने और सूजी के हलवे का भोग पसंद है. इन दोनों चीजों का भोग लगाने पर माता रानी अपनी कृपा करती है. सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती है. माता का व्रत रखने वाले बहुत से लोग इसी दिन महागौरी की पूजा कर व्रत का पारगण करते हैं. आइए जानते हैं महागौरी की कथा, भोग, आरती और मंत्र...

मां महागौरी कथा

मान्यता है कि मां महागौरी की पूजा करने से धन व सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. महागौरी गौर वर्ण की है और इनके आभूषण और वस्त्र स्वेत रंग के हैं. इनकी उम्र आठ साल की मानी गई है. इनकी चार भुजाएं है और वृषभ पर सवार होने के कारण इन्हें वृषारूढा भी कहा जाता है. सफेद वस्त्र धारण करने के कारण इन्हें स्वेतांबरा भी कहा गया है. मां महागौरी देवी पार्वती का एक रूप हैं. पार्वती ने भगवान शिव की कठोर तपस्या करने के बाद उन्हें पति के रूप में पाया था. कथा है कि एक बार देवी पार्वती भगवान शिव से रूष्ट हो गईं. इसके बाद वह तपस्या पर बैठ गईं. जब भगवान शिव उन्हें खोजते हुए पहुंचे तो वह चकित रह गए. पार्वती का रंग, वस्त्र और आभूषण देखकर उमा को गौर वर्ण का वरदान देते हैं. महागौरी करुणामयी, स्नेहमयी, शांत तथा मृदुल स्वभाव की हैं. 

मां महागौरी का मंत्र

शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी मां का ध्यान करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है. माता गौरी की मंत्र आराधना सर्व मंगल मंग्लये, शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्रयंबके गौरि नारायणि नमोस्तुते है.इसी मंत्र मां से की पूजा की जाती है. 

अष्टमी के दिन करें कन्या पूजन

नवरात्रि के पर्व पर दुर्गाष्टमी के महागौरी के साथ ही कन्याओं की पूजा की जाती है. इस पूजन में नौ साल की कन्याओं की पूजा करने का विधान है. माना जाता है कि महागौरी की उम्र भी आठ साल की थी. कन्या पूजन से भक्त के पास कभी भी कोई दुख नहीं आता है और मां अपने भक्त पर प्रसन्न होकर मनवांछित फल देती हैं.

महागौरी की आरती

जय महागौरी जगत की माया 

जय उमा भवानी जय महामाया 

हरिद्वार कनखल के पासा 

महागौरी तेरा वहा निवास 

चंदेर्काली और ममता अम्बे

जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे 

भीमा देवी विमला माता

कोशकी देवी जग विखियाता 

हिमाचल के घर गोरी रूप तेरा

महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा 

सती 'सत' हवं कुंड मै था जलाया

उसी धुएं ने रूप काली बनाया 

बना धर्म सिंह जो सवारी मै आया

तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया 

तभी मां ने महागौरी नाम पाया

शरण आने वाले का संकट मिटाया 

शनिवार को तेरी पूजा जो करता

माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता 

'चमन' बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो

महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो.

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