Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि में पूजा के साथ करें इन मंत्रों का जाप, दूर हो जाएगा आर्थिंक संकट

Written By नितिन शर्मा | Updated: Oct 03, 2024, 06:40 AM IST

शारदीय नवरात्रि में माता आरती के साथ मंत्रों का जप जरूर करें. इससे माता रानी प्रसन्न होने के साथ ही हर संकट और कष्टों को हर लेती हैं. व्यक्ति के घर और जीवन में सुख समृद्धि आती है.

Shardiya Navratri 2024: हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का बड़ा महत्व है. इस बार नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर 2024 से होगी. ऐसे में माता की पूजा अर्चना से लेकर उनकी मूर्ति स्थापना की तैयारियां जोर शोर से चल रही है. माता की मूर्ति और कलश स्थापना कर भक्त माता रानी की विशेष प्रकार से पूजा अर्चना करेंगे. अलग अलग भोग प्रसाद चढ़ाने के साथ ही दुर्गा चालीसा और मंत्रों का जाप करेंगे. इससे माता रानी प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा करेंगी. उनकी कृपा से साधक के सभी दुख दूर हो जाते हैं. साथ ही घर में सुख समृद्धि आएगी. 

अगर आप भी मां दुर्गा की पूजा अर्चना करने के साथ ही उनकी कृपा पाना चाहते हैं तो नौ दिनों तक माता आरती और इन मंत्रों का जाप जरूर करें. इन मंत्रों के जाप से माता रानी की कृपा प्राप्त होगी. जीवन से सभी संकट दूर होकर सुख, संपत्ति और धन की प्राप्ति होगी. आर्थिंक तंगी तक खत्म हो जाएगी. 

मां दुर्गा के मंत्र

1. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः.

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः.

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः.

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः.

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः.

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः.

या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः.

2. हिनस्ति दैत्येजंसि स्वनेनापूर्य या जगत् .

सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्यो नः सुतानिव .

3. शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे .

सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो स्तुते .

4. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते.


5. 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै'


6. पिण्डज प्रवरा चण्डकोपास्त्रुता.

प्रसीदम तनुते महिं चंद्रघण्टातिरुता.

पिंडज प्रवररुधा चन्दकपास्कर्युत .

प्रसिदं तनुते महयम चंद्रघंतेति विश्रुत.

7. “दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:

स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि.

दारिद्र्यदु:खभयहारिणि का त्वदन्या

सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽ‌र्द्रचित्ता.”

सृष्टि स्तिथि विनाशानां शक्तिभूते सनातनि.

गुणाश्रेय गुणमये नारायणि नमो स्तुते .
 

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)

ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगलफेसबुकxइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से