Navratri Kanya Pujan Date: शारदीय नवरात्रि में इस दिन होगा कन्या पूजा, जानें तिथि से लेकर शुभ मुहूर्त और इसका महत्व

नितिन शर्मा | Updated:Oct 05, 2024, 02:15 PM IST

शारदीय नवरात्रि में माता की पूजा अर्चना करने के साथ ही कन्या पूजन का बड़ा महत्व है. इनमें कन्याओं का पूजन कराने के साथ ही खाना खिलाने के बाद ही पूजा का संपूर्ण माना जाता है.

Shardiya Navratri Kanya Pujan 2024: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. यह नवरात्रि मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना वर्त और उपासना के लिए समर्पित हैं. इनमें माता की पूजा अर्चना के साथ ही उनके प्रिय भोग लगाये जाते हैं. वहीं अष्टमी और नवमी तिथि के दिन कन्या पूजा किया जाता है. छोटी छोटी कन्याओं की विधि विधान से तिलक और चुनरी देकर मां के पसंदीदा भोग पुरी, हलवा और चने आदि खिलाएं जाते हैं. इन कन्याओं को देवी का स्वरूप माना जाता है. उनकी पूजा करने से नवरात्रि व्रत फल प्राप्त होता है. सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है. इसी के बाद नवरात्रि पूर्ण माने जाते हैं और मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है. आइए जानते हैं इस बाद कब है कन्या पूजन, इसकी तिथि से लेकर विधि और महत्व...

यह है कन्या पूजन की तिथि (Kanya Pujan Tithi)

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल दुर्गाष्टमी और महानवमी व्रत एक ही दिन पड़ रहा है. ऐसे में दुर्गाष्टमी का व्रत पालन 11 अक्टूबर 2024 को शुक्रवार के दिन किया जाएगा. वहीं कन्या पूजा भी इसी दिन किया जाएगा. 

नवरात्रि में ये है कन्या पूजा का महत्व (Kanya Pujan Importance)

कन्याओं को देवी स्वरूप माना जाता है. यही वजह है कि नवरात्रियों के अलावा भी शुभ मौकों पर या फिर किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले कन्याओं को विधि विधान से भोजन कराया जाता है. वहीं नौ दिनों के नवरात्रि पर्व के दौरान कन्या पूजन का विशेष महत्व है. ऐसा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं. माता रानी के आशीर्वाद से व्यक्ति को सुख-समृद्धि, धन-ऐश्वर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. कन्या पूजा से व्यक्ति कष्ट और पाप भी नष्ट हो जाते हैं. 

कन्या पूजा में आयु का विशेष महत्व (Kanya Puja Age Effects)

कन्या पूजन में कन्याओं की आयु का भी अलग अलग महत्व है. पूजन के बीच 2 साल की कन्या का पूजन और खाना खिलाने से दरिद्रता दूर होती है. वहीं 3 साल की कन्या का पूजा धन धान्य की प्राप्ति देता है. 4 साल की कन्या को कल्याणी का रूप माना जाता है. ऐसे में व्यक्ति का कल्याण होता है. 5 साल की कन्या को रोहिणी रूप माना जाता है. उनका पूजन करने से जीवन में खुशियां आती है. 6 साल की कन्या को मां कालिका का रूप माना जाता है. उनकी पूजा करने से शत्रुओं का नाश होता है. 7 साल की कन्या को मां चंडिका देवी का स्वरूप माना गया है. वहीं 8 साल की आयु की कन्या मां शांभवी का रूप माना जाता है. 9 साल की कन्या का पूजन मां दुर्गा के रूप में किया जाता है. वहीं 10 साल की कन्या कपूजा सुभद्रा माता के रूप में किया जाता है. 

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)

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