नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन का विशेष महत्व है क्योंकि कन्याओं को मां दुर्गा का रूप माना जाता है. इसे देवी लक्ष्मी का एक रूप भी माना जाता है. यह अनुष्ठान आमतौर पर अष्टमी और नवमी तिथि को किया जाता है. लेकिन कुछ लोग इसे नवरात्रि के अन्य दिनों में भी करते हैं.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी दुर्गा ने राक्षस कालासुर को हराने के लिए एक युवा युवती के रूप में अवतार लिया था। इसलिए नवरात्रि पर कन्या पूजन का आयोजन किया जाता है. क्योंकि छोटी बच्चियों में एक मां शेरावाली होती है.
वहीं इस दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए ताकि पूजा का पूरा फल प्राप्त हो सके. तो आइए जानें..
कन्या पूजन 2024 कब है?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को दोपहर 12:31 बजे शुरू होगी . वहीं यह तिथि 11 अक्टूबर को दोपहर 12:06 बजे समाप्त होगी. पंचांग के अनुसार दुर्गा अष्टमी और नवमी एक साथ 11 अक्टूबर को मनाई जाएगी. ऐसे में इस साल कन्या पूजा 11 अक्टूबर को ही आयोजित की जाएगी.
कन्या पूजन के नियम
- कन्याओं का स्वागत कर समारोह की शुरुआत करें.
- फिर उनके पैर धोकर आसन पर बैठाएं.
- फिर उनके माथे पर कुमकुम लगाएं और पवित्र धागा बांधें
- अब कन्याओं को नैवेद्य के रूप में काले चने-पूरी, श्रीफल और कांसर या खीर का प्रसाद खिलाएं.
- कन्याओं को चुनड़ी, चूड़ियां और नए कपड़े जैसे उपहार दें .
- फिर अपनी दक्षिणा के अनुसार फल और दान दें
- फिर कन्याओं के पैरों पर गिरकर आशीर्वाद लें.
-अंत में कुछ चावल दें और कहें कि इसे अपने घर में फेंक दें और खुद ले लें .
- इस दौरान तामसिक चीजों से परहेज करें
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)
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