Maa Durga Aarti: शारदीय नवरात्रि पर करें मां दुर्गा की आरती, हर काम में मिलेगी सफलता

नितिन शर्मा | Updated:Oct 01, 2024, 09:18 PM IST

मां दुर्गा के नौ दिनों में माता रानी के 9 अलग अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाएगी. इसमें मां की चालीसा पाठ के बाद आरती जरूर गाये. बिना आरती के पूजा अधूरी मानी जाती हैं.

Maa Durga Aarti : शारदीय नवरात्रि की शुरुआत इस बार 3 अक्टूबर से होने जा रही है. इसी दिन मां दुर्गा की मूर्ति और कलश स्थापना की जाएगी. यह मां दुर्गा की आराधना का लिए सबसे श्रेष्ठ समय होता है. इसमें माता की पूजा अर्चना और आरती करने मात्र सुख संपत्ति की प्राप्ति होती है. माता रानी भक्तों के सभी दुखों को हर लेती हैं. नवरात्र के इन पावन दिनों में 9 दिन मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है, जो अपने भक्तों को खुशी, शक्ति और ज्ञान प्रदान करती है. नवरात्रि पर माता रानी को प्रसन्न करने के लिए भोग प्रसाद के साथ ही आरती जरूर करें. 

मां दुर्गा की आरती

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी.
जय अम्बे गौरी

माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको.
जय अम्बे गौरी

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै.
जय अम्बे गौरी

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी.
जय अम्बे गौरी

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति.
जय अम्बे गौरी

शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती.
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती.
जय अम्बे गौरी

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे.
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे.
जय अम्बे गौरी

ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी.
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी.
जय अम्बे गौरी

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ.
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु.
जय अम्बे गौरी

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता.
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता.
जय अम्बे गौरी

भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी.
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी.
जय अम्बे गौरी

कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती.
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति.
जय अम्बे गौरी

श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै.
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै.
जय अम्बे गौरी मैया जय अम्बे गौरी.

मां दुर्गा के शक्तिशाली मंत्र


1. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः..

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः..

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः..

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः..

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः..

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः..

या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः..

 

2.पठित्वा पाठयित्वा च नरो मुच्येत सङ्कटात् ..

उमा देवी शिरः पातु ललाटं शूलधारिणी .

चक्षुषी खेचरी पातु वदनं सर्वधारिणी ..

जिह्वां च चण्डिका देवी ग्रीवां सौभद्रिका तथा .

अशोकवासिनी चेतो द्वौ बाहू वज्रधारिणी..

हृदयं ललिता देवी उदरं सिंहवाहिनी .

कटिं भगवती देवी द्वावूरू विन्ध्यवासिनी ..

महाबाला च जङ्घे द्वे पादौ भूतलवासिनी.

एवं स्थिताऽसि देवि त्वं त्रैलोक्यरक्षणात्मिके.

रक्ष मां सर्वगात्रेषु दुर्गे दॆवि नमोऽस्तु ते..
 

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)

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