Shardiya Navratri 2024 Vrat Niyam: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. नवरात्रि के नौ दिनों में भक्त मां के अलग अलग 9 स्वरूपों की पूजा अर्चना करते हैं. माता के मंत्र जाप के साथ ही आरती और भोग लगाया जाता है. वहीं ज्यादातर लोग माता के नौ दिनों तक व्रत का संकल्प लेते हैं. इसकी शुरुआत नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना से करते हैं. अगर आप भी नवरात्रि के व्रत कर रहे हैं और माता के सामने कोई इच्छा रखते हैं तो इसके नियम जरूर जान लें. इसी के बाद व्रत पूर्ण होने के साथ ही माता रानी भक्त की सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं. अगर आप इन्हें नहीं जानते हैं तो आइए जानते हैं नवरात्रि व्रत के नियम, जिनका पालन जरूर करना चाहिए...
यह हैं नवरात्रि व्रत के नियम (Navratri Vrat Niyam)
अगर आप भी नवरात्रि व्रत रख रहे हैं तो इसका संकल्प लें. इसके बाद माता रानी के सामने अपनी मनोकामना रखें.
नवरात्रि व्रत मे ध्यार रखें कि किसी पर गुस्सा करने या फिर किसी की मिथ्या और ईष्या करने से बचें. किसी गरीब या अपने से छोटे को परेशान न करें. नवरात्रि व्रत में किसी से छल करने से बचना चाहिए.
नवरात्रि व्रत में जितना हो सके झूठ बोलने से बचें. इसके साथ ही किसी जानवर या पशु पक्षी को नुकसान पहुंचाने से बचें. उसे भूलकर भी न मारें.
नवरात्रि व्रत में व्रती को किसी कन्या या महिला का अपमान नहीं करना चाहिए. इस दौरान कन्याओं की पूजा करनी चाहिए. इससे माता रानी प्रसन्न होती हैं.
नवरात्रि व्रत में पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करें. व्रती को दिन में सोना नहीं चाहिए. साथ साथ ही पूरी तरह से सात्विक दिनचर्या अपनायें.
नवरात्रि व्रत में किसी भी व्यक्ति को तामसिक भोजन से लेकर पान मसाला, मांस मदिरा, गुटका या धूम्रपान से दूर रहना चाहिए. भूलकर भी इनका सेवन नहीं करना चाहिए.
नवरात्रि व्रत में व्रती को एक बार ही फलाहारी यानी भोजन करना चाहिए. इसमें अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए.
व्रती को नवरात्रि में हर दिन मां दुर्गा के अलग अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना करनी चाहिए. इससे माता रानी प्रसन्न होती हैं. मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं.
अगर आपने घर में अखंड ज्योत जलाई है तो घर को खाली छोड़कर नहीं जाना चाहिए. घर में किसी न किसी व्यक्ति का होना बेहद जरूरी है.
नवरात्रि का व्रत एक बार धारण करने के बाद इसे बीच में नहीं छोड़ना चाहिए. व्रत का संकल्प लेकर इसे पूर्ण करें.
नवरात्रि व्रत के बाद व्रत का उद्यापन जरूर करना चाहिए. अष्टमी या नवमी जो भी मनाई जाती हो, उसी दिन व्रत का उद्यापन करें.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)
ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगल, फेसबुक, x, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से