पितृपक्ष के बाद शारदीय नवरात्रि शुरू होने जा रहे हैं. हिंदू धर्म इनका बड़ा महत्व है. नवरात्रि 9 दिनों के होते हैं. इस बार नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर से होगी. इस दिन मां दुर्गा की मूर्ति घर में विराजमान कर 9 दिनों तक पूजा अर्चना और व्रत किया जाएगा. इस दौरान घट या कलश स्थापना की जाएगी. इसके बाद नौ दिनों तक माता के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना और भोग लगाया जाएगा. शारदीय नवरात्रि में पूजा के दौरान खास पूजा सामग्री की जरूरत होती है. अगर आप भी नवरात्रि व्रत रखने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं कौन कौन सी सामग्री इसके लिए चाहिए. साथ ही जरूरी सामान और पूजा विधि...
इस दिन है शारदीय नवरात्रि
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत पितृपक्ष समाप्ति के अगले दिन यानी 3 अक्टूबर 2024 से हो जाएगी. इस दिन माता रानी को घर में विराजमान कर घट स्थापना की जाएगी. नौ दिनों तक माता रानी की विशेष पूजा, व्रत और भोग बनाएं जाएंगे. इससे माता प्रसन्न होकर भक्त की सभी इच्छाओं को पूर्ण करेंगी.
कलश स्थापना और सामग्री
शारदीय नवरात्रि में पहले दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती है. इसके साथ ही कलश स्थापना प्रतिपदा तिथि पर होती है. कलश स्थापना के लिए पंचपल्लव या आम की पत्तियों का पल्लव, जौ, जल, मिट्टी के बर्तन, साफ कपड़े, नारियल, कलावा, रोली, सुपारी, सिक्का, दूर्वा, गेहूं, हल्दी, पान के पत्ते, कपूर और अक्षत ले. यह सभी चीजें कलश स्थापना से लेकर माता की पूजा अर्चना में बेहद कारगर होती हैं.
नवरात्रि की शुरू होने के साथ इन बातों का रखें ध्यान
नवरात्रि शुरू होने से पूर्व घर की अच्छे से साफ सफाई करें. इसके साथ ही मां दुर्गा के स्वागत के लिए घर में रंगोली बनाएं. देवी के स्वागत के बाद उनके सामने लाल चुनरी, लाल फूल, कुमकुम, चूडियां और सिंदूर जरूर रखें. नवरात्रि में श्रृंगार का दान भी बेहद शुभ होता है. इसके साथ ही माता की पूजा अर्चना के दौरान दुं दुर्गायै नमः मंत्र का जप करें.
शारदीय नवरात्रि में पूजा सामग्री की लिस्ट
शारदीय नवरात्रि में खासकर लौंग, इलायची, दुर्वा, कपूर, सुपारी, नारियल, कलावा, लाल वस्त्र, चंदन, मां दुर्गा की तस्वीर, गाय का घी का दीपक और माता का श्रृंगार जरूर लेकर आएं. इसे पूजा सामग्री में शामिल करें. इससे माता की कृपा प्राप्त होगी.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.
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