Maa Chandraghanta Aarti: शारदीय नवरात्रि के ​तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की पूजा, जानें माता की आरती, मंत्र और पसंदीदा भोग

नितिन शर्मा | Updated:Oct 04, 2024, 02:30 PM IST

Shardiya Navratri 3rd Day: नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्राघंटा का होता है. इस दिन माता की आरती, मंत्र और माता को उनका प्रिय भोग लगाने से कृपा प्राप्त होती है. 

Navratri 3rd Day Maa Chandraghanta: शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित होता है. मां चंद्राघंटा की तीसरी आंख खुली रहती है. माता रानी की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति के सभी पाप और संकट नष्ट हो जाते हैं. जीवन में किसी भी तरह के भय या कलेश से जूझ रहे हैं तो मां चंद्रघंटा की विधि विधान से पूजा करने पर इससे मुक्ति मिल जाती है. माता रानी की कृपा प्राप्त होती है. आइए जानते हैं माता की पूजा की विधि से लेकर आरती, मंत्र और पसंदीदा भोग...

ऐसा है मां चंद्रघंटा का स्वरूप

माता चंद्राघंटा मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं. इनकी नवरात्रि के तीसरे दिन विधि विधानसे पूजा अर्चना की जाती है. इस स्वरूप में माता चंद्रघंटा युद्ध मुद्रा में सिंह पर विराजती है. माता के माथे पर घंटे के आकार में अर्धचंद्र होने के कारण ही उन्हें चंद्रघंटा कहा गया है. माता के 10 हाथों में त्रिशूल, गदा, धनुष, तलवार समेत कई शस्त्र होते हैं. माता का मंगल ग्रह से संबंध है. 

माता को लगाएं इन चीजों का भोग (Maa Chandraghanta Bhog)

मां चंद्रमघंट को केसर, केसर दूध या उससे बनी किसी मिठाई का भोग बेहद प्रिय है. माता रानी को बर्फी से लेकर ड्राईफ्रूट का भोग भी लगा सकते हैं. इससे माता रानी की कृपा प्राप्त होती है. जीवन से दुख, भय और कष्ट कट जाते हैं. 

यह है मां चंद्रघंटा की आरती (Maa Chandraghanta Aarti) 

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम.
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम.
चंद्र समान तुम शीतल दाती. चंद्र तेज किरणों में समाती.
क्रोध को शांत करने वाली.
मीठे बोल सिखाने वाली.
मन की मालक मन भाती हो.
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो.
सुंदर भाव को लाने वाली.
हर संकट मे बचाने वाली.
हर बुधवार जो तुझे ध्याये.
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं.
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं.
सन्मुख घी की ज्योति जलाएं.
शीश झुका कहे मन की बाता.
पूर्ण आस करो जगदाता.
कांचीपुर स्थान तुम्हारा.
करनाटिका में मान तुम्हारा.
नाम तेरा रटूं महारानी.
भक्त की रक्षा करो भवानी.

मां चंद्रघंटा का मंत्र (Maa Chandraghanta Mantra)

पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता.
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता..
 

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)

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