Maa Kushmanda Aarti: शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन करें मां कूष्मांडा की पूजा, जानें माता की आरती, मंत्र और पसंदीदा भोग

Written By नितिन शर्मा | Updated: Oct 05, 2024, 04:15 PM IST

Shardiya Navratri 4th Day: नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा का होता है. इस दिन माता की आरती, मंत्र और माता को उनका प्रिय भोग लगाने से कृपा प्राप्त होती है. 

Navratri 4th Day Maa Kushmanda: शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा को समर्पित होता है. मां कूष्मांडा शेर की सवारी करती हैं. माता रानी की पूजा अर्चना करने से दुख और दरिद्रता दूर होती है, लेकिन इस बार चतुर्थी तिथि उदया तिथि से न होने के कारण मां कुष्मांडा का एक नवरात्रि आगे चला गया है. माता रानी की पूजा अर्चना करने से खुशियां प्राप्त होती है. मान्यता है कि मां कूष्मांडा ने ही सृष्टि की रचना की थी. कूष्मांडा एक संस्कृत शब्द है. इसका अर्थ है कुम्हड़ा यानी पेठा की बलि देना. आइए जानते हैं मां कूष्मांडा की ​तिथि से लेकर शुभ मुहूर्त, विधि, मंत्र, प्रिय भोग और आरती...

ऐसा है मां कूष्मांडा का स्वरूप

पुराण के अनुसार, मां दुर्गा के चौथे स्वरूप को कूष्मांडा कहा जाता है. मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं होती हैं. मां के एक हाथ में जपमाला और बाकी के सात हाथों में धनुष, बाण, कमल, अमृत पूर्ण कलश, कमंडल, चक्र और गदा शामिल हैं.

मां कूष्मांडा की स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः.

मां कूष्मांडा की प्रार्थना

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च.
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे.

मां कूष्मांडा बीज मंत्र

ऐं ह्री देव्यै नम:

मां कूष्मांडा का भोग

मां कूष्मांडा को भोग में मालपुआ बेहद पसंद हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से मां कूष्मांडा प्रसन्न होती हैं. माता रानी अपने भक्तों पर कृपा करती हैं. मां को दही और हलवे का भोग भी प्रिय होता है. 

मां ​कूष्मांडा की आरती 

कूष्मांडा जय जग सुखदानी.
मुझ पर दया करो महारानी.
पिगंला ज्वालामुखी निराली.
शाकंबरी मां भोली भाली.
लाखों नाम निराले तेरे.
भक्त कई मतवाले तेरे.
भीमा पर्वत पर है डेरा.
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा.
सबकी सुनती हो जगदम्बे.
सुख पहुंचती हो मां अम्बे.
तेरे दर्शन का मैं प्यासा.
पूर्ण कर दो मेरी आशा.
मां के मन में ममता भारी.
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी.
तेरे दर पर किया है डेरा.
दूर करो मां संकट मेरा.
मेरे कारज पूरे कर दो.
मेरे तुम भंडारे भर दो.
तेरा दास तुझे ही ध्याए.
भक्त तेरे दर शीश झुकाए.
 

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)

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