Navratri Day 8: आज मां महागौरी की करें इस विधि से पूजा, जानें बीज मंत्र से भोग तक सब कुछ

ऋतु सिंह | Updated:Oct 03, 2022, 06:09 AM IST

आज मां महागौरी की करें इस विधि से पूजा

Navratri Day 8: नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है. चलिए जानें महागौरी की पूजा विधि, बीज मंत्र, भोग तक की पूरी जानकारी.

डीएनए हिंदीः आज मां दुर्गा के आठवें स्वरूप की पूजा होगी. मां महागौरी का रंग गोरा होने के कारण ही उन्हें महागौरी या श्वेताम्बरधरा भी कहा जाता है. देवी महागौरी की पूजा से धन व सुख.समृद्धि की प्राप्ति होती है और अखंड सौभाग्य मिलता है. देवी काऊपरी दाहिना हाथ अभय मुद्रा में रहता है और निचले हाथ में त्रिशूल हैण् ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू जबकि नीचे वाला हाथ शांत मुद्रा में है. तो चलिए आज देवी की पूजा से जुड़ी संपूर्ण विधि जानें.

मां महागौरी पूजा विधि
सुबह उठकर स्नान करने के बाद मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं. इसके बाद देवी को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें. मां को सफेद रंग पसंद है. इस दिन पुष्प भी देवी को सफेद ही अर्पित करें. इसके बाद देवी को रोली कुमकुम और सिंदूर लगाएं. इसके बाद मिष्ठान, पंच मेवा और फल अर्पित करें. इसके बाद देवी के मंत्र, स्त्रोत और चालीसा का पाठ करें. 

भोग
अष्टमी तिथि के दिन मां महागौरी को नारियल या नारियल से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है.  इस दिन देवी को काले चने का भोग जरूर लगाएं.

मां महागौरी का प्रिय पुष्प
मां का प्रिय पुष्प रात की रानी है. इनका राहु ग्रह पर आधिपत्य है, यही कारण है कि राहुदोष से मुक्ति पाने के लिए मां महागौरी की पूजा की जाती है.

मां महागौरी बीज मंत्र
श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:.
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः. महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥ या देवी सर्वभू‍तेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां महागौरी के लिए मंत्र

सर्वमङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके.
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोsस्तुते..

स्तोत्र मंत्र-

सर्वसंकट हंत्रीत्वंहिधन ऐश्वर्य प्रदायनीम्.
ज्ञानदाचतुर्वेदमयी,महागौरीप्रणमाम्यहम्॥
सुख शांति दात्री, धन धान्य प्रदायनीम्.

ध्यान मंत्र
वन्दे वांछित कामार्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
सिंहारूढाचतुर्भुजामहागौरीयशस्वीनीम्॥
पुणेन्दुनिभांगौरी सोमवक्रस्थितांअष्टम दुर्गा त्रिनेत्रम।
वराभीतिकरांत्रिशूल ढमरूधरांमहागौरींभजेम्॥
पटाम्बरपरिधानामृदुहास्यानानालंकारभूषिताम्।
मंजीर, कार, केयूर, किंकिणिरत्न कुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनांपल्लवाधरांकांत कपोलांचैवोक्यमोहनीम्।
कमनीयांलावण्यांमृणालांचंदन गन्ध लिप्ताम्॥

नोटः अष्टमी के दिन कन्या पूजन भी करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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