Shastra Puja Muhurat: विजयादशमी पर क्या है शस्त्र पूजा का महत्व, जानें सही मुहूर्त और नियम

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 23, 2023, 01:03 PM IST

विजयादशमी पर क्या है शस्त्र पूजा का महत्व, जानें सही मुहूर्त और नियम

Shastra Puja Muhurat: दशहरे या विजयादशमी के दिन भगवान राम के साथ शस्त्रों की भी पूजा करने का विधान है. इसलिए इस दिन आम लोगों के साथ भारतीय सेना भी विशेष तौर पर हथियारों की पूजा करती है.

डीएनए हिंदी: सनातन धर्म में दशहरे या विजयादशमी का खास महत्व होता है और इस दिन राम के साथ शस्त्रों की भी पूजा करने का विधान है. ऐसी मान्यता है कि राजा-महाराजाओं (Shastra Puja) ने इस पर्व की शुरुआत की थी और यह आज तक चली आ रही है. इसके अलावा दशहरे पर शस्त्रों की पूजा पूरे विधि विधान से करने से वरदान की प्राप्ती होती है (Shastra Puja Time) और इससे शत्रु हमारा बाल भी बांका नहीं कर सकता है. यही वजह है कि इस दिन आम लोगों के साथ (Dusshera 2023) भारतीय सेना भी विशेष तौर पर हथियारों की पूजा करती है. आइए जानते हैं क्या है विजयादशमी पर शस्त्र (Vijayadashami) पूजा का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा का सही नियम...

शस्त्र पूजा का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि की शुरुआत 23 अक्तूबर 2023 को शाम 5 बजकर 44 मिनट से होगी, जो 24 अक्तूबर 2023 को दोपहर 3 बजकर 14 मिनट तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार इस साल 24 अक्तूबर को विजयदशमी मनाई जाएगी.  

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इसके अलावा इस दिन शस्त्र पूजा विजय मुहूर्त में की जा जाएगी और 24 अक्तूबर को विजय मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. इस दिन अभिजीत मुहूर्त या उस दिन का शुभ समय 11 बजकर 30 मिनट से दोपहर 12 बजकर 15 मिनट तक है.  

इस विधि से करें शस्त्र पूजा (Shastra Puja ki Vidhi)

इस दिन यानि 24 अक्टूबर को मंगलवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद एक स्थान पर सभी अस्त्र-शस्त्र व्यवस्थित तरीके से जमा कर दें और शस्त्रों के ऊपर ऊपर जल छिड़क कर पवित्र करें. इसके बाद सभी अस्त्र-शस्त्रों पर मौली पूजा का धागा बांधे. फिर शस्त्रों पर तिलक लगाएं और फूल माला पहनाएं.  दशहरे पर शस्त्र पूजा करने से शोक और भय का नाश होता है और देवी विजया भी प्रसन्न होती हैं.

पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करें

आश्विनस्य सिते पक्षे दशम्यां तारकोदये.
स कालो विजयो ज्ञेयः सर्वकार्यार्थसिद्धये

शस्त्र पूजा का महत्व (Kyo Karte hai Shastra Puja)

पौराणिक कथा के अनुसार, जब महिषासुर नाम के महाभयंकर राक्षस ने देवताओं को भी हरा दिया था, तब सभी देवता भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास गए और उन्होंने अपने मुख से एक तेज प्रकट किया, जो कि देवी का एक स्वरूप बन गया. इसके बाद देवताओं ने देवी को अपने दिव्य अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए और इन्हीं शस्त्रों की सहायता से देवी ने महिषासुर का वध किया. मान्यता है कि ये तिथि आश्विन शुक्ल दशमी थी. इसलिए इस शुभ तिथि पर शस्त्रों की पूजा विशेष रूप से की जाती है.  

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)

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