Shattila Ekadashi 2024: इस दिन है षटतिला एकादशी, जानें पूजा की विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व और व्रत के लाभ

नितिन शर्मा | Updated:Feb 04, 2024, 06:26 AM IST

हर माह में दो एकादशी आती है. इनमें पौष माह की कृष्ण पक्ष पर आने वाली एकादशी को बहुत ही विशेष माना जाता है. इन्हीं में से षटतिला एकादशी है. इस पर व्रत रखने से व्यक्ति के पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं. 

डीएनए हिंदी: हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में एकादशी का व्रत रखा जाता है. एकादशी पर पूजा अर्चना के साथ ही व्रत करने पर भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी कहा जाता है. कुछ जगहों पर इसे माघ कृष्ण एकादशी, तिल्दा या ​सत्तिला एकादशी भी कहते है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने मात्र से भगवान व्यक्ति के सभी पाप और कष्टों को नष्ट कर देते हैं. एकादशी व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. आइए जानते हैं षटतिला एकादशी की तिथि, महत्व, शुभ मुहूर्त और व्रत के पारण का समय...

यह है षटतिला एकादशी का शुभ मुहूर्त 

हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 5 फरवरी 2024 को शाम 5 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगीऔर अगले दिन 6 फरवरी को 4 बजकर 7 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के हिसाब से षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi 2024) 6 फरवरी को मनाई जाएगी. 

यह है एकादशी पारण का समय

षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi 2024 Vrat) व्रत का पारण 6 फरवरी के अगले दिन 7 फरवरी को सुबह 7 बजकर 6 मिनट से लेकर 9 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. सवा दो घंटे के इस समय में व्रती भगवान को भोग लगाने के बाद अपना व्रत पारण कर सकते हैं.  

षटतिला एकादशी का महत्व

हर माह पड़ने वाली एकादशी में षटतिला एकादशी बहुत ही विशेष होती है. इसका अलग महत्व होता है. एकादशी पर भगवान विष्णु की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है. इस एकादशी का अर्थ षटतिला यानी तिल से है. इस दिन तिल का छह तरीकों से इस्तेमाल करना शुभ होता है. तिल को दान करने व्यक्ति के सभी पाप कष्ट जाते हैं. इसका पुण्य प्राप्त होता है. षटतिला एकादशी पर पितरों को जल और तिल अर्पित करने से पितृदोष दूर होता है. पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं. इससे व्यक्ति को स्वास्थ्य से लेकर धन लाभ की प्राप्ति होती है. 

षटतिला एकादशी व्रत की विधि

षटतिला एकादशी पर सुबह उठते ही स्नान करें. इसके बाद साफ सुथरे कपड़े धारण कर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें. उन्हें भोग लगाये. माता लक्ष्मी को फूल अर्पित करें. संकल्प लेकर व्रत करें. साथ ही विष्णु की ध्यान और मंत्रों का जप करें. ध्यान रखें कि एकादशी के दिन चावल घर में न बनाये और न ही खाये.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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