Shivlinga Puja Niyam: कैसे करनी चाहिए शिवलिंग की पूजा? शिव पुराण के इन नियमों को जान लें

ऋतु सिंह | Updated:Feb 25, 2024, 01:20 PM IST

Shivling Puja Niyam

वेदव्यास (Ved Vyas) द्वारा रचित शिवपुराण (Shiv Puran) के सोलहवें अध्याय में शिवलिंग पूजा (Shivling Worship) के कुछ नियम बताए गए हैं. महाशिवरात्रि (Mahahivratri) पर शिवलिंग पूजा विशेष रूप से की जाती है, इसलिए आप पूजा के नियम जान लें.

हिंदू धर्म में हर कोई अपनी आस्था के अनुसार देवी-देवताओं की मूर्तियों की पूजा करता है. वेदव्यास द्वारा रचित शिवपुराण के सोलहवें अध्याय में मूर्ति पूजा और शिवलिंग पूजा से जुड़ी कई जानकारी दी गई है. इसके अलावा शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा करने के फायदे भी बताए गए हैं. महाशिवरात्रि शुक्रवार 8 मार्च 2024 को है और इसदिन महादेव की पूजा विशेष रूप से शिवलिंग के रूप में की जाती है.

शिव पुराण के अनुसार अगर आप शिवलिंग या किसी भी देवी या देवता की मिट्टी से बनी मूर्ति की पूजा करते हैं तो तो आपकी पूजा न केवल फलीभूत होती है बल्किन आपकी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. शिवपुराण के अनुसार मूर्ति बनाने के लिए किसी नदी, तालाब, कुएं या पानी के नीचे से मिट्टी लेनी चाहिए और उसमें सुगंधित द्रव्य डालकर उसे शुद्ध करना चाहिए. फिर मिट्टी में दूध मिलाकर हाथ से शिवलिंग या किसी देवी-देवता की मूर्ति बनानी चाहिए. देवी-देवता की मूर्तियां पद्मासन में रखकर पूजा करनी चाहिए.

मूर्ति एवं शिवलिंग की पूजा
शिव पुराण में सर्वप्रथम भगवान गणेश फिर भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान सूर्य, भगवान विष्णु और शिवलिंग की पूजा करने के बारे में बताया गया है. मनोकामना पूर्ति के लिए सोलह उपचारों से पूजा फलदायी होती है.

देवताओं द्वारा स्थापित शिवलिंग पर प्रसाद चढ़ाना चाहिए और यदि शिवलिंग स्वयंभू यानी स्वयं प्रकट हुआ हो तो उसकी विधिपूर्वक प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए. इस प्रकार पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. 

शिवलिंग पूजा नियम

शिवलिंग पर हमेशा बैठकर धीमे-धीमे जल चढ़ाना शुभ माना गया है. भगवान शिव को कभी तेज धार से जल न चढ़ाएं. हिंदू मान्यता के अनुसार शिवलिंग की जलहरी में कभी भी पूजा का सामान नहीं रखना चाहिए और न ही परिक्रमा करते समय जलहरी को डांकना चाहिए. हिंदू मान्यता के अनुसार शिवलिंग की हमेशा आधी परिक्रमा करनी चाहिए. उत्तर दिशा की ओर मुंह करके शिवलिंग की पूजा करना बेहद ही शुभ माना जाता है. शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय ॐ पार्वतीपतये नम:॥ ॐ पशुपतये नम:॥ ॐ नम: शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नम: ॐ का जाम करना चाहिए. धातु से बने शिवलिंग का प्रसाद खा सकते हैं, जैसे  पारद, चांदी, तांबे, पीतल से बने शिवलिंग की पूजा में चढ़ाया प्रसाद शिव का अंश माना जाता है. लेकिन अन्य चीजों से बने शिवलिंग का प्रसाद नहीं खाना चाहिए.

शिवपुराण के अनुसार शिवलिंग का महत्व
भगवान शिव को मोक्ष का दाता माना जाता है. शिव में योनि और लिंग दोनों समाहित हैं. अत: भगवान शिव जगत के जन्मदाता हैं. यही कारण है कि व्यक्ति को जन्म-जन्मांतर की निवृत्ति के लिए अलग-अलग पूजा-पाठ के नियमों का पालन करना पड़ता है.

साथ ही संपूर्ण जगत बिंदु-नाद स्वरूप है. बिंदु शक्ति और नाद स्वयं शिव हैं. इसलिए संपूर्ण जगत शिव और शक्ति का स्वरूप है और जगत का कारण कहा गया है. बिंदु का अर्थ है भगवान और नाद का अर्थ है भगवान शिव, इनका संयुक्त रूप ही शिवलिंग कहलाता है. देवी उमा जगत की माता हैं और भगवान शिव जगत के पिता हैं. जो उनकी सेवा करते हैं उन पर उनकी कृपा बढ़ती रहती है.

शिवलिंग अभिषेक  
जीवन-मृत्यु के बंधन से मुक्ति के लिए श्रद्धापूर्वक शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए. गाय के दूध, दही और घी को शहद और चीनी के साथ मिलाकर पंचामृत बना लें और इस पंचामृत को चढ़ाएं. दूध और अनाज को मिलाकर प्रसाद तैयार करें और प्रणव मंत्र  'ॐ' का जाप करते हुए भगवान शिव को अर्पित करें.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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