Shradh 2024: आज से शुरु हो गया पितृपक्ष, जानें किसे करना चाहिए श्राद्ध और पिंडदान?

ऋतु सिंह | Updated:Sep 18, 2024, 08:14 AM IST

पितृपक्ष

पितृ पक्ष के दौरान पितरों को प्रसन्न करने का एक सरल उपाय है श्राद्ध कार्य और पिंडदान. कैसे करें श्राद्ध? श्राद्ध और पिंडदान करते समय इन सभी नियमों को ध्यान में रखना चाहिए.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगर पिता की आत्मा संतुष्ट हो तो घर में हमेशा सुख, समृद्धि और धन का वास रहता है. यदि पितृ हमसे संतुष्ट हैं तो हम जो भी कार्य करेंगे उसमें विघ्न और परेशानियां आने लगेंगी. इसलिए यह बहुत ज़रूरी है कि हम अपने माता-पिता को खुश रखें. पितृ पक्ष के इन 15 दिनों का उपयोग उनकी आत्मा की शांति के लिए किया जा सकता है. इस अवधि में पितरों के लिए श्राद्ध किया जाता है.
 
ऐसा कहा जाता है कि पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर परिवार पर अपना आशीर्वाद देते हैं. पितृ पक्ष में कौन श्राद्ध कर सकता है और कौन नहीं, इसका उल्लेख शास्त्रों में मिलता है. यहां उनके बारे में कुछ जानकारी दी गई है..
 
1. पितृ पक्ष में कौन कर सकता है श्राद्ध?
- धर्म शास्त्रों के अनुसार पितृ श्राद्ध करने का पहला अधिकार ज्येष्ठ पुत्र को होता है. यदि बड़ा पुत्र जीवित न हो तो छोटा पुत्र श्राद्ध कर सकता है.
- यदि बड़ा पुत्र विवाहित है तो उसे अपनी पत्नी सहित श्राद्ध करना चाहिए. मान्यता है कि इससे पितरों को प्रसन्नता और उनकी आत्मा को शांति मिलेगी.
-हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध करने का अधिकार केवल पुत्र को ही है. यदि किसी व्यक्ति का कोई पुत्र नहीं है तो उसके भाई का पुत्र यानि भतीजा भी उसका श्राद्ध कर सकता है.
- यदि मृत व्यक्ति का कोई भाई या भतीजा न हो तो उसकी पुत्री का पुत्र भी श्राद्ध कर सकता है. मान्यता है कि इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलेगी.
 
2. पितृ पक्ष में क्या करना चाहिए.? जो नहीं करना है.?
- घर में पितरों के श्राद्ध के दिन या श्राद्ध के समय अपनी क्षमता के अनुसार ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए.
- यदि कोई व्यक्ति जनेऊ या जनेऊ धारण कर रहा है तो पिंडदान के समय उस धागे को बाएं कंधे की बजाय दाएं कंधे पर रखें.
- याद रखें कि पिंडदान हमेशा सूर्योदय के समय ही करना चाहिए. अर्थात पिंडदान या श्राद्ध कर्म केवल सुबह के समय ही करना चाहिए. पिंडदान शाम के समय या शाम ढलने के बाद नहीं किया जाता है.
- पिंड दान के लिए कांसे, तांबे या चांदी के बर्तन का इस्तेमाल करना चाहिए.
- पितृ पूजन करते समय आपका मुख दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए.
 
श्राद्ध या पिंडदान के अपने कर्मकांड और नियम होते हैं और उन्हीं के अनुसार कार्य संपन्न करना चाहिए. जब कर्म श्राद्ध या पिंडदान के नियमों के अनुसार किया जाएगा तो उसका फल पितरों और आपको दोनों को मिलेगा.
 

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)  

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