डीएनए हिंदी: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह में 2 प्रदोष व्रत रखा जाता है, पहला कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव (Lord Shiva) के लिए प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) रखना बेहद शुभ होता है और इस दिन विधि- विधान से भगवान शिव की पूजा करने पर साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और घर में सुख-समृद्धी (Shiv Pujan) आती है. इसके अलावा प्रदोष व्रत जिस दिन पड़ता है, उसी दिन के नाम पर यह व्रत रखा जाता है. पंचांग के अनुसार, इस बार 10 नवंबर दिन शुक्रवार को नवंबर का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा. वहीं शुक्रवार के दिन पड़ने के नाते इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा. आइए जानते हैं (Shukra Pradosh Vrat) शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त...
प्रदोष व्रत पूजा का शुभ समय
बता दें कि प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा शाम को सूर्यास्त से करीब 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद की जाती है, इस बार 10 नवंबर दिन शुक्रवार के को प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त शाम 05 बजकर 41 मिनट से रात 08 बजकर 15 मिनट तक रहेगा और इसी शुभ मुहूर्त में आपको भगवान शिव की पूजा कर लेनी चाहिए. क्योंकि प्रदोष व्रत पर शिव पूजा शाम के समय में ही होती है.
पूजन विधि (Shukra Pradosh Vrat Puja Vidhi)
इस दिन सुबह स्नानादि करने के बाद हल्के रंग के वस्त्र धारण करें और फिर भगवान गणेश जी के सामने घी का दीया जलाकर गं मंत्र का 108 बार जाप करें और फिर भगवान शिव के मंत्र नमः शिवाय का जाप करें. इसके अलावा इस दिन शाम के समय प्रदोष काल मे भगवान शिव को पंचामृत यानि दूध दही घी शहद और शक्कर से स्न्नान कराएं और फिर शुद्ध जल से स्न्नान कराकर रोली मौली चावल धूप दीप आदि से पूजन करें. भगवान शिव को सफेद चावल की खीर का भोग लगाएं और इसके बाद आसन पर बैठकर शिवाष्टक का पाठ करें और भगवान शिव से सारे विघ्न और दोषों को खत्म करने की प्रार्थना करें.
इन बातों का रखें खास ध्यान
- इस दिन भूलकर भी काले कपड़े न पहनें
- किसी का अपमान न करें
- शिवलिंग पर हल्दी न अर्पित करें.
- तामसिक भोजन या मांस आदि का सेवन न करें.
- किसी को गुस्सा न दिखाएं और क्रोध न करें
- किसी तरह की लड़ाई में भी न पड़ें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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