डीएनए हिंदी : वैसे तो सोमवार के व्रत (Monday Fast) आप जिंदगी भर कर सकते हैं लेकिन 16 सोमवार का महत्व अलग है. इस व्रत को आप श्रावण, चैत्र,वैशाख, कार्तिक में शुरू कर सकते हैं. इन महीनों में यह व्रत करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है.सावन का महीना सामने ही है और इस महीने सावन के सोमवार भी किए जा सकते हैं.
क्यों किया जाते हैं 16 सोमवार के व्रत (Significance of 16 Monday Fast)
किसी भी बड़े संकट से छुटकारा पाने के लिए यह व्रत किया जाता है. घर-परिवार में कोई न कोई लगातार गंभीर रोगों से पीड़ित है या व्यापार में कोई समस्या है, अगर समाधान के संकल्प से यह व्रत किया जाता है तो यह व्रत अवश्य करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि जिन युवतियों का विवाह किसी ना किसी कारण से नहीं हो रहा है उन्हें यह व्रत करना चाहिए.16 सोमवार करते ही उनको वर की प्राप्ति होती है. शास्त्रों के अनुसार 16 सोमवार व्रत प्रारंभ करने के लिए श्रावण माह के शुक्ल पक्ष में आने वाले पहले सोमवार को चुना जाता है.
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16 सोमवार व्रत विधि (Monday Fast Method)
सोमवार के दिन व्रती को सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए. पूजा करने से पहले नित्य क्रिया से निवृत्य होकर स्नान करना चाहिए. स्नान के दौरान पानी में गंगा जल तथा काला तिल डालकर नहाना चाहिए तथा पहली बार शरीर पर जल डालते समय ऊं गंगे का जाप करना चाहिए. इसके बाद दिन भर अन्न्, जल ग्रहण ना करें.
शाम को आधा सेर गेहूं के आटे का चूरमा बनाएं, शिवजी की पूजा करें. पूजा में बेलपत्र, आंकड़े के फूल, धतूरे आदि अर्पित करें. चूरमा भगवान शिवजी को चढ़ाएं और फिर इस प्रसाद के तीन भाग करें. एक भाग प्रसाद के रूप में लोगों में बांटे, दूसरा गाय को खिलाएं और तीसरा हिस्सा स्वयं खाकर पानी पिएं. इस विधि से सोलह सोमवार करें और सत्रहवें सोमवार को पांच सेर गेहूं के आटे की बाटी का चूरमा बनाकर भोग लगाकर प्रसाद बांट दें. फिर परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण करें
इस मंत्र का करना चाहिए जाप
ऊं गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु
सोमवार व्रत से लाभ (Benefit from Monday Fast)
सोमवार व्रत करने वाले को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है
कुवारी कन्याओं को मनोनुकूल पति की प्राप्ति होती है
संतान सुख की प्राप्ति होती है
घर में अकारण होने वाले पति-पत्नी के मध्य क्लेश में कमी हो जाती है या ख़त्म ही हो जाता है
रोगों से मुक्ति मिलती है
शरीर में शिव शक्ति संचार की अनुभूति होती है
अपना तथा अपने परिवार के सदस्यों को अकाल मृत्यु का भय कम हो जाता है
जन्मकुंडली में अशुभ ग्रह की दशा चल रही है तो अशुभता में कमी हो जाती है
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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