डीएनए हिंदीः दिवाली पर बहुत सी मान्यताएं प्रचलित हैं. कहीं इस दिन सूरन की सब्जी खाना जरूरी होता है तो कहीं इस दिन मिट्टी के घरौंदे बनाए जाते हैं. इन सभी के पीछे कुछ न कुछ मान्यता है. तो चलिए आज आपको ये बताएं कि दिवाली पर मिट्टी का घरौंदा आखिर बनाना क्यों शुभ होता है.
इस साल 24 अक्टूबर को दिवाली मनाई जाएगी और इस दिन देवी लक्ष्मी और गणपति जी की पूजा के साथ ही मिट्टी के घरौंदे भी बनते हैं और इस घर की पूजा भी की जाती है.
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घरौंदा बनाने की परंपरा बहुत पुरानी है और इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है. कार्तिक माह की अमावस्या के दिन भगवान राम, सीता और लक्ष्मण जब अयोध्या लौटे थे तब लोगों ने उनके स्वागत के लिए घरों में घी के दीपक जलाएं थे. और उसी दिन लोगों ने मिट्टी के घरौंदे भी बनाए थे और उसे खूब सजाया था.
मान्यता है कि ये घरौंदे सुख और सौभाग्य के लिए बनाए जाते हैं. मिट्टी के बने हुए घरौंदे में मिठाई, फूल, खील और बताशे रखकर लोग इसको अपने घर की तरह पूजते हैं. कुछ जगह ऐसी भी मान्यता है कि ऐसे घर बनाने से जिनका घर नहीं होता है उन्हें घर का सुख मिलता है या जिनके घर में नकारात्मकता है वह दूर होती है.
इसे बनाने का महत्व बहुत अधिक माना जाता है. कई लोगों का यह भी मानना है कि इस दिन मिट्टी के घरौंदा बनाने से घर में लक्ष्मी का वास होता है. साथ ही इससे घर में सुख. समृद्धि भी आती है. इस वजह से इसे बनाना बहुत शुभ माना गया है. कई लोग इस मिट्टी के घरौंदे पर कई तरह के रंग से पेंट भी करते हैं और लाइट्स से भी सजाते हैं और दीपक से इसे रौशन करते हैं.
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मिट्टी का घरौंदा के साथ क्यों बनाते हैं रंगोली
मिट्टी का घरौंदा लोगों के घरों में ज्यादातर अविवाहित महिलाएं ही यह मिट्टी का घरौंदा बनाती हैं और उस घर के सामने रंगोली भी बनाती हैं. माना जाता है कि दिवाली के दिन लोग घरों में साफ-सफाई करके रंगोली बनाते हैं उसी प्रकार से मिट्टी के घरौंदे के सामने भी रंगोली बनाई जाती है. इससे अविवाहित कन्याओं के जीवन में सुख और सौभाग्य और मनचाहे पति की प्राप्ति होती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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