Skanda Sashti 2023: कल रखा जाएगा स्कंद षष्ठी का व्रत, जानें कार्तिकेय की पूजा, विधि और इससे मिलने वाले लाभ

Written By नितिन शर्मा | Updated: Dec 17, 2023, 06:57 AM IST

इस व्रत को रखने और पूजा मात्र से ही व्यक्ति को जीवन में कई सारे लाभ मिलते हैं. कार्तिकेय को स्कंद भी कहा जाता है. कार्तिकेय को चंपा का फूल प्रिय होने की वजह से इसे चंपा षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है.

डीएनए हिंदी: हर साल के मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी मनाई जाती है, लेकिन कुछ लोग इस व्रत को कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को भी रखते हैं. यह तिथि इस बार 18 दिसंबर 2023 को होगी. इस व्रत को रखने और पूजा मात्र से ही व्यक्ति को जीवन में कई सारे लाभ मिलते हैं. कार्तिकेय को स्कंद भी कहा जाता है. कार्तिकेय को चंपा का फूल प्रिय होने की वजह से इसे चंपा षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. कथा की मानें तो आज ही के दिन कार्तिकेय ने तारकासुर जैसे बड़े दैत्य के अत्याचारों से परेशान देवताओं को मुक्ति दिलाई थी. यही वजह है कि स्कंद षष्ठी के दिन ​कार्तिकेय समेत शिव परिवार की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. 

ज्योतिषाचार्य की मानें तो स्कंद षष्ठी पर कार्तिकेय की स्थापना करने के साथ पूजा अर्चना करने पर स्कंद माता प्रसन्न होती हैं. इसके साथ ही कार्तिकेय समेत भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है. इस दिन भगवान के सामने अखंड दीपक जलाएं जाते हैं. विशेष कार्यों की सिद्धि के लिए इस समय की गई पूजा अर्चना विशेष फलदायक होती है. कहा जाता है कि विधिपूर्वक व्रत और पूजन करने से संतान प्राप्ति का सुख प्राप्त होता है. वहीं संतान के दुख और बीमारियों को काटता है. भगवान कार्तिकेय की कृपा से सभी दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं. 

भगवान कार्तिकेय की पूजा से मंगल होता है मजबूत

कार्तिकेय को षष्ठी तिथि और मंगल ग्रह का स्वामी कहा जाता है. अगर किसी भी जातक की जन्म कुंडली में मंगल की दशा अच्छी नहीं होती. मंगल कमजोर स्थिति में होता है. उन्हें स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय की विशेष पूजा अर्चना करनी चाहिए. उनके सामने अखंड ज्योत जलाने के साथ ही चंपा के फूलों को चढ़ाना चाहिए. इसके साथ व्रत रखना चाहिए. ऐसा कने से कार्तिकेय प्रसन्न होते हैं. इनकी कृपा मात्र से मंगल ग्रह मजबूत स्थिति में आ जाता है. 

ऐसे करें स्कंद षष्ठी व्रत और पूजा

स्कंद षष्ठी के दिन सुबह उठते ही स्नानादि के बाद साफ कपड़े पहनें और भगवान कार्तिकेय की मूर्ति बनाएं. अगर आप मूर्ति को अच्छे से नहीं बना पा रहे हैं तो मिट्टी का पिंड बनाकर उसके उसके ऊपर 16 बार 'बम' शब्द का उच्चारण करें. शास्त्रों में 'बम' को सुधाबीज यानि अमृत बीज कहा गया है. ऐसे में 'बम' के उच्चारण से यह मिट्टी अमृतमय हो जाती है. इसके साथ ही भगवान की मूर्ति बनाते समय 'ऊँ ऐं हुं क्षुं क्लीं कुमाराय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए. इसका बड़ा लाभ प्राप्त होता है. मूर्ति बनाने बाद कार्तिकेय भगवान आह्वान करना चाहिए. इस दिन भगवान को स्नान कराने से लेकर मंत्रों का जप करने चाहिए. 'ऊँ नमः पशुपतये' और भगवान के स्नान के बाद 'ऊँ नमः शिवाय' मंत्र से गंध, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य भगवान को अर्पित करें. 

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)

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