Skanda Sashti Vrat: संतान के लिए आज रखा जाएगा स्कंद षष्ठी व्रत, इस विधि से पूजा करने से सभी कष्टों से मिलेगी मुक्ति

Written By ऋतु सिंह | Updated: Feb 25, 2023, 06:06 AM IST

Skanda Sashti

हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी व्रत रखने का विशेष महत्व है. माताएं अपनी संतान की सलामती के लिए व्रत रखती हैं

डीएनए हिंदीः Skanda Sashti 2023 Falgun: ये व्रत भगवान कार्तिकेय यानी स्कंद कुमार को समर्पित है. स्कंद षष्ठी व्रत की महिमा का वर्णन ब्रह्मवैवर्त पुराण में किया गया है. इस दिन भगवान कार्तिकेय की विधिवत पूजा करता है, उनके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. तो चलिए जानें की स्कंद षष्ठी व्रत का शुभ मुहूर्त क्या है, पूजा विधि क्या है, इस दिन किस मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है. 

फाल्गुन स्कंद षष्ठी मुहूर्त
फाल्गुन 2023 माह में स्कंद षष्ठी का व्रत और पूजन शनिवार 25 फरवरी को किया जाएगा. फाल्गुन शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि का आरंभ 25 फरवरी रात 12:31 पर होगी और इसका समापन 26 फरवरी रात 12:20 पर होगा. धर्मसिन्धु और निर्णयसिन्धु ग्रंथों के अनुसार, स्कंद षष्ठी का व्रत और पूजन सूर्योदय और सूर्यास्त के मध्य में अगर पंचमी तिथि समाप्त होती हो तो रखा जाता है. इसके अलावा यदि षष्ठी तिथि आरंभ हो रही हो तब भी इस व्रत को रखा जाता है. षष्ठी तिथि का पंचमी तिथि के साथ मिलना स्कंद षष्ठी व्रत के लिए बहुत ही शुभ माना गया है. यही कारण से कई बार स्कंद षष्ठी का व्रत पंचमी तिथि को भी रखा जाता है.

स्कंद षष्ठी व्रत महत्व 
स्कंद कुमार की पूजा करने से साहस, पराक्रम, बल, दीर्घायु संतान, शत्रुओं पर विजय आदि की प्राप्ति होती है. स्कंद षष्ठी व्रत की महिमा का वर्णन ब्रह्मवैवर्त पुराण में किया गया है. इस व्रत के पुण्य फल ये प्रियव्रत का मृत शिशु फिर से जीवित हो उठा था. इस दिन जो व्यक्ति भगवान कार्तिकेय की विधिवत पूजा करता है और सच्चे मन से उनकी उपासना करता है. उनके जीवन की सारी समस्याएं दूर हो जाती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. इसके अलावा इस दिन संतान की सलामती के लिए व्रत रखी जाती है.

स्कंद षष्ठी की पूजा विधि क्या है?
सबसे पहले स्नान करें, स्वच्छ कपड़े पहनें. उसके बाद भगवान कार्तिकेय का ध्यान रखते हुए व्रत रखें. वहीं पूजा के दौरान सबसे पहले भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अवश्य करें. उसके बाद भगवान कार्तिकेय को फूल, फल, मेवा, सिंदूर, अक्षत,सिंदूर चढ़ाएं और भगवान कार्तिकेय के सामने घी की दीपक जलाएं.

इस मंत्र का करें 108 बार जाप 
देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव.
कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात:।

भगवान कार्तिकेय आरती 

जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा

जय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्याम

जय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
सदाशिव उमा महेश्वर

जय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि

महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मी

जय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ता

जय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार

जय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेश

जय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय ||                 
 

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