सोमवती अमावस्या पर करें ये उपाय और पितृ चालीसा का पाठ, दोष से लेकर दूर हो जाएगी सभी परेशानियां

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jul 17, 2023, 09:39 AM IST

सावन की सोवती अमावस्या का बड़ा महत्व होता है. इस दिन कुछ उपाय करने से ही पितृदोष खत्म हो जाता है. काम और सफलता में आ रही बाधा दूर हो जाती है. 

डीएनए हिंदी: (Somvati Amavasya 2023 Upay and Chalisa) आज सावन की सोमवती अमावस्या है. इसे हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है. इस तिथि का विशेष महत्व है. इस दिन पूजा जप तप करने से सभी कष्ट और विकार खत्म हो जाते हैं. इस दिन किए गए दान को महादान माना जाता है. साथ ही इस दिन पितृों तर्पण भी किया जाता है. इससे पितृ प्रसन्न होते हैं. अगर आप पितृ दोष से परेशान हैं तो इस दिन किए गए कुछ एक उपाय से ही आपको पितृदोष से छुटकारा मिल जाएगा. जीवन में आ रही परेशानियां खत्म होने के साथ ही घर में सुख समृद्धि में इजाफा होगा. अगर आप के हर काम के बाधा आ रही है. घर में कलेश से लेकर हर समय बीमारी का वास रहता है तो इसकी वजह पितृदोष हो सकता है. अमावस्या पर किया गया एक उपाय पितृदोष से मुक्त करने के साथ ही पितृरों की आशीर्वाद पाने का एक माध्यम है. सोमवती अमावस्या यानी पितृरों की पूजा करें. साथ ही पितृ चालीसा का पाठ करें. आइए जानते हैं पितृ चालीसा और उपाय...

आज के दिन करें ये 2 उपाय

सोमवती अमावस्या पर पीपल के पेड़ की पूजा करना फलदायक होता है. इस दिन पीपल के पेड़ में गंगा जल अर्पण करें. इसके साथ ही 108 बार पीपल की परिक्रमा करें और कच्चा सूत लपेटें. इस उपाय को करने से पति की उम्र लंबी होती है. मन की और भी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. 

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पितरों के लिए करें तर्पण

सोमवती अमावस्या पर पितरों को जल दें. उनका ध्यान करें और अपनी गलतियों की क्षमा मांगे. साथ ही एक लोटे में काले तिल, चीनी, चावल, पुष्प डालकर उसमें जल भरकर पीपल के पेड़ में दें. इसे घर पितर प्रसन्न होते हैं. घर में आ रही समस्याओं को दूर करते हैं. 

पितृ देव चालीसा

चरण शीश नवा दियो, रख दो सिर पर हाथ.
सबसे पहले गणपत, पाछे घर का देव मनावा जी .
हे पितरेश्वर दया राखियो, करियो मन की चाया जी ..
पितरेश्वर करो मार्ग उजागर, चरण रज की मुक्ति सागर .
परम उपकार पित्तरेश्वर कीन्हा, मनुष्य योणि में जन्म दीन्हा .
मातृ-पितृ देव मन जो भावे, सोई अमित जीवन फल पावे .
जै-जै-जै पित्तर जी साईं, पितृ ऋण बिन मुक्ति नाहिं .
चारों ओर प्रताप तुम्हारा, संकट में तेरा ही सहारा .
नारायण आधार सृष्टि का, पित्तरजी अंश उसी दृष्टि का .
प्रथम पूजन प्रभु आज्ञा सुनाते, भाग्य द्वार आप ही खुलवाते .

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झुंझनू में दरबार है साजे, सब देवों संग आप विराजे .

प्रसन्न होय मनवांछित फल दीन्हा, कुपित होय बुद्धि हर लीन्हा .
पित्तर महिमा सबसे न्यारी, जिसका गुण गावे नर नारी .
तीन मण्ड में आप बिराजे, बसु रुद्र आदित्य में साजे .
नाथ सकल संपदा तुम्हारी, मैं सेवक समेत सुत नारी .
छप्पन भोग नहीं हैं भाते, शुद्ध जल से ही तृप्त हो जाते .
तुम्हारे भजन परम हितकारी, छोटे बड़े सभी अधिकारी .
भानु उदय संग आप पुजावे, पांच अँजुलि जल रिझावे .
ध्वज पताका मण्ड पे है साजे, अखण्ड ज्योति में आप विराजे .
सदियों पुरानी ज्योति तुम्हारी, धन्य हुई जन्म भूमि हमारी .
शहीद हमारे यहाँ पुजाते, मातृ भक्ति संदेश सुनाते .

गंगा ये मरुप्रदेश की, पितृ तर्पण अनिवार्य परिवेश की .
बन्धु छोड़ ना इनके चरणाँ, इन्हीं की कृपा से मिले प्रभु शरणा .
चौदस को जागरण करवाते, अमावस को हम धोक लगाते .
जात जडूला सभी मनाते, नान्दीमुख श्राद्ध सभी करवाते .
धन्य जन्म भूमि का वो फूल है, जिसे पितृ मण्डल की मिली धूल है .
श्री पित्तर जी भक्त हितकारी, सुन लीजे प्रभु अरज हमारी .
निशिदिन ध्यान धरे जो कोई, ता सम भक्त और नहीं कोई .
तुम अनाथ के नाथ सहाई, दीनन के हो तुम सदा सहाई .
चारिक वेद प्रभु के साखी, तुम भक्तन की लज्जा राखी .
नाम तुम्हारो लेत जो कोई, ता सम धन्य और नहीं कोई .
जो तुम्हारे नित पाँव पलोटत, नवों सिद्धि चरणा में लोटत .
सिद्धि तुम्हारी सब मंगलकारी, जो तुम पे जावे बलिहारी .
जो तुम्हारे चरणा चित्त लावे, ताकी मुक्ति अवसी हो जावे .
सत्य आस मन में जो होई, मनवांछित फल पावें सोई .
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई, शेष सहस्र मुख सके न गाई. 
मैं अति दीन मलीन दुखारी, करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी .
अब पितृ जी दया दीन पर कीजै, अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै .

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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