डीएनए हिंदी: रुद्राक्ष धारण करने के धार्मिक और ज्योतिषीय दोनों ही प्रकार के महत्व होते हैं. बता दें कि सावन मास में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रुद्राक्ष को भी अर्पित किया जाता है. रुद्राक्ष भी एक प्रकार की रत्न ही है और इसे पहनने से शारीरिक ही नहीं, मानसिक फायदे भी होते हैं.
मान्यता है कि रुद्राक्ष में साक्षात महादेव का वास होता है. रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसूओं से हुई थी इसलिए इसे शिव का अंश माना गया है. प्राणियों के कल्याण के लिए जब कई सालों तक ध्यान करने के बाद भगवान शिव ने आंखें खोलीं, तब आंसुओं की बूंदें गिरी थीं जिससे बहुत से महारुद्राक्ष के पेड़ हो गए थे। रुद्र की आंखों के उत्पन्न होने के कारण इसे रुद्राक्ष का नाम दिया गया है.
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रुद्राक्ष पहनने से क्या फायदा?
रुद्राक्ष शिवजी का प्रिय आभूषण है और इसे धारण करने से मानसिक शांति मिलती है और शरीर के कई रोग दूर होते हैं. हार्ट से लेकर हाई बीपी के मरीजों को रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है. रुद्राक्ष पहनने वाला दीर्घायु होता है. ये जातक में तेज और ओज की वृद्धि कराता है.
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जानिए धारण करने की सही विधि
सावन के महीने में रुद्राक्ष धारण करना बहुत ही लाभकारी माना जाता है. चलिए जानें कि इसे पहनने से पहले किन नियमों का पालन करना चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
- रुद्राक्ष को लाल साफ कपड़े में रखकर पूजा स्थान पर रखें.
- रुद्राक्ष को पहले पंचामृत डुबोना होता है फिर गंगाजल से धुलना चाहिए.
- इसे धारण करने से पहले इसे शिवलिंग चढ़ाएं और शिव मंत्र या ओम नम: शिवाय का जाप करें.
- हाथ में थोड़ा सा गंगाजल लेकर संकल्प लें और फिर जल को नीचे छोड़ दें. इसके बाद ही रुद्राक्ष धारण करें.
- रुद्राक्ष गले में या हाथों में धारण कर सकते हैं और इसे हमेशा लाल धागे में पहनें.
- कलाई में रुद्राक्ष धारण कर रहे हैं तो इसमें रुद्राक्ष के 12 दाने, गले में धारण कर रहे हैं तो 36 दाने और यदि आप हृदय में रुद्राक्ष धारण कर रहे हैं तो 108 रुद्राक्ष के दाने होने चाहिए.
- रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को सात्विक भोजन और सात्विक जीवन शैली का पालन करना चाहिए।
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