Surya Puja: आज रविवार को सूर्य को जल दे कर पढ़ें ये आरती, भाग्योदय और मान-सम्मान में होगी बढ़ोतरी

ऋतु सिंह | Updated:Nov 20, 2022, 05:53 AM IST

आज रविवार को सूर्य को जल दे कर पढ़ें ये आरती, भाग्योदय और मान-सम्मान में होगी बढ़ोतरी
 

यदि आपकी किस्मत में ग्रहण लगा हुआ है तो सूर्य को जल देने के साथ ही उनकी आरती आपको रोज करनी चाहिए.

डीएनए हिंदीः रविवार के दिन भगवान सूर्य को समर्पित हैं और इस दिन सूर्यदेव को जल देने के साथ ही उनके बीज मंत्र और आरती को जरूर करना चाहिए. सूर्यदेव की पूजा से सुख-समृद्धि, अच्छी सेहत और यश-कीर्ति में इजाफा होता है. 
सूर्य जिसकी कुंडली में तेज हों उसे जीवन में सूर्य के समान नाम-सम्म्मान और शौर्य की प्राप्ति होती है और उसे हर कार्य में सफलता मिलती है. 

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जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर हो उनका भाग्योदय रूका रहता है, ऐसे लोगों को रोज सूर्य देव को जल देना चाहिए और साथ में उनकी आरती करनी चाहिए. तो चलिए सूर्य को जल देने की सही विधि जान लें और उनकी आरती को पढ़ें.
  
सूर्य को कैसे अर्पित करें जल
सूर्य को जल देते समय ''ऊं आदित्य नम: मंत्र या ऊं घृणि सूर्याय नमः'' मंत्र का जाप करना चाहिए. ध्यान रहे सूर्य को जल देते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर हो. तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें रोली और लाल फूल डालकर जल दें. जल देते समय ध्यान रहे कि इसके छींटे पैर पर न पड़ें. इसक लिए आप जल किसी बाल्टी में डालें और इसे किसी पौधे में बाद में डाल दें. 

सूर्यदेव के मंत्र (Surya Dev Mantra)
ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा.
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
ॐ सूर्याय नम:
ॐ घृणि सूर्याय नम:

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ऊँ जय सूर्य देव जी की आरती (Surya Dev Aarti)

ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान॥
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥

सारथी अरूण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी।
तुम चार भुजाधारी॥
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटी किरण पसारे।
तुम हो देव महान॥
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥


ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते।
सब तब दर्शन पाते॥
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा।
करे सब तब गुणगान॥
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते।
गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में, हर घर हर आंगन में।
हो तव महिमा गान॥
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥

देव दनुज नर नारी, ऋषि मुनिवर भजते।
आदित्य हृदय जपते॥
स्त्रोत ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी।
दे नव जीवनदान॥
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥

तुम हो त्रिकाल रचियता, तुम जग के आधार।
महिमा तब अपरम्पार॥
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते।
बल बृद्धि और ज्ञान॥
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥

भूचर जल चर खेचर, सब के हो प्राण तुम्हीं।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं॥
वेद पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने।
तुम ही सर्व शक्तिमान॥
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥


पूजन करती दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल।
तुम भुवनों के प्रतिपाल॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी।
शुभकारी अंशुमान॥
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥

ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान।
जगत के नेत्र रूवरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा॥
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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