Surya Dev Puja: घर में सुख समृद्धि और तरक्की के लिए सूर्यदेव को कैसे चढ़ाएं जल, जानें ​समय से लेकर नियम और मंत्र

Written By नितिन शर्मा | Updated: Nov 05, 2024, 11:41 AM IST

हिंदू धर्म में सूर्यदेव को जल देना बेहद शुभ माना जाता है. स्नान के बाद जल देने से व्यक्ति के सभी काम बन जाते हैं. आइए जानते हैं सूर्य को जल देने नियम और मंत्र

Surya Dev Arghya Niyam And Mantra: सूर्य देव को सृष्टि में प्रकाश और ऊर्जा का देवता कहा जाता है. सूर्य देव ही संसार में प्रकाश फैलाते हैं. इसके साथ ही सूर्य देव को पिता, सौभाग्य और स्वास्थ का कारक माना जाता है. इनकी पूजा करने के साथ ही जल देने से कष्टों से मुक्ति मिलती है. जीवन में चल रही परेशानियां और दुर्भाग्य खत्म होता है. ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि नियमित रूप से सूर्य को जल देने से पुण्य की प्राप्ति होती है. व्यक्ति का भाग्य जागृत होने के साथ ही कुंडली से सूर्यदोष दूर हो जाता है. इसके कुछ नियमों का पालन करना भी बेहद जरूरी है. आइए जानते हैं कि सूर्य देव को जल चढ़ाने से लेकर समय, नियम और मंत्र...

सूर्य को दिन में कितनी बार देना चाहिए जल

शास्त्रों के अनुसार, सूर्य देव को सुबह के समय तांबे के कलश से तीन बार जल अर्पित करना चाहिए. इसके लिए सबसे पहले सूर्यदेव को सुबह स्नान के बाद जल दें. इसके बार परिक्रमा करें. दूसरी बार अर्घ्य देकर 1 बार परिक्रमा करें और फिर से अर्घ्य दें और परिक्रमा के बाद धरती माता को स्पर्श करें. सूर्यदेव को जल देने के साथ ही तीन बार परिक्रमा करना शुभ होता है. 

सूर्य देव को इस समय दें अर्घ्य 

सुबह उठते ही स्नान के बाद उगते हुए सूर्य को जल दें. उगते हुए सूर्य को जल दिया जाता है. हिंदू धर्म में सिर्फ एक ही ऐसा महापर्व है छठ, जिसमें डूबते हुए सूर्य को जल दिया जाता है. उगते सूर्य को अर्घ्य देना जीवन में बेदह फलदायक होता है. सूर्य देव को अर्घ्य देने से पहले जल में अक्षत, लाल फूल, रोली और लाल फूल मिला लें. जल अर्पित करते समय पूर्व दिशा की तरफ ही मुख रखें. इससे जीवन में आने वाली समस्याएं खत्म हो जाएंगी. 

इन मंत्रों का करें जप 

सूर्यदेव को जल देते समय इन मंत्रों का जप करना शुभ होता है. इससे जीवन में सफलता प्राप्त होती है. कष्ट और समस्याएं खत्म हो जाती हैं. इसके लिए ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा, ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर, ऊं ब्रह्म स्वरुपिणे सूर्य नारायणे नमः, ॐ आरोग्य प्रदायकाय सूर्याय नम:, ॐ घ्राणि सूर्याय नम: मंत्रों का जप कर सकते हैं.  

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी समान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.)

ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें  हमारे गूगलफेसबुकxइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से