Surya Mantra: रविवार को इन मंत्रों से सूर्यदेव को करें प्रसन्न, मिलेंगे मानसिक-शारीरिक लाभ और दूर होंगे कष्ट

Aman Maheshwari | Updated:Jun 10, 2023, 04:45 PM IST

प्रतीकात्मक तस्वीर

Surya Mantra: उगते सूर्य को जल का अर्घ्य देने से सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं और जातक के सभी कष्ट और परेशानी दूर करते हैं.

डीएनए हिंदीः सनातन धर्म में सप्ताह के सभी दिनों का धार्मिक महत्व होता है. हफ्ते के सभी दिन भगवान को समर्पित होते हैं. भगवान को समर्पित खास दिनों पर पूजा करने से विशेष लाभ मिलते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रविवार का दिन (Ravivar Surya Puja) भगवान सूर्य की पूजा (Suryadev Puja) का महत्व होता है. उगते सूर्य को जल का अर्घ्य देने से सूर्यदेव प्रसन्न (Suryadev Puja) होते हैं और जातक के सभी कष्ट और परेशानी दूर करते हैं. इस दिन तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल फूल, सिंदूर, अक्षत और मिश्री मिलाकर अर्घ्य देने से विशेष कृपा प्राप्त होती है. रविवार के दिन सूर्य मंत्रों (Surya Mantra) का जाप करने से भी लाभ मिलता है.

सूर्य प्रार्थना मंत्र
सूर्य भगवान की प्रार्थना करते हुए इस मंत्र का जाप करें
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सूर्याष्टकम का करें पाठ

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।

दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते

सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम् ।

श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम् ।

महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरम् ।

महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

बृंहितं तेजःपुञ्जं च वायुमाकाशमेव च ।

प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

बन्धुकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम् ।

एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेजः प्रदीपनम् ।

महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम् ।

महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

सूर्य कवच का करें जाप

श्रणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम्।

शरीरारोग्दं दिव्यं सव सौभाग्य दायकम्।।

देदीप्यमान मुकुटं स्फुरन्मकर कुण्डलम।

ध्यात्वा सहस्त्रं किरणं स्तोत्र मेततु दीरयेत्।।

शिरों में भास्कर: पातु ललाट मेडमित दुति:।

नेत्रे दिनमणि: पातु श्रवणे वासरेश्वर:।।

ध्राणं धर्मं धृणि: पातु वदनं वेद वाहन:।

जिव्हां में मानद: पातु कण्ठं में सुर वन्दित:।।

सूर्य रक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्ज पत्रके।

दधाति य: करे तस्य वशगा: सर्व सिद्धय:।।

सुस्नातो यो जपेत् सम्यग्योधिते स्वस्थ: मानस:।

सरोग मुक्तो दीर्घायु सुखं पुष्टिं च विदंति।।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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